TISS में 100 कर्मचारियों की नौकरी पर संकट: प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने उठाई आवाज

नई दिल्ली। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के विभिन्न कैंपसों में लगभग 100 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका आया है। उन्हें सूचित किया गया है कि उनके अनुबंधों का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा और उनकी सेवाएं 30 जून को समाप्त हो जाएंगी। 28 जून को TISS प्रशासन ने कर्मचारियों को टर्मिनेशन पत्र भेजे। इससे कर्मचारियों में भारी निराशा और आक्रोश फैल गया है।

प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ऑफ TISS के एक बयान में कहा गया, “TISS के लगभग सौ कर्मचारी, जो पहले टाटा एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा वित्त पोषित थे, वर्षों की सेवा के बाद बेरोजगार हो जाएंगे। यह वर्तमान TISS प्रशासन की नेतृत्व क्षमता की असफलता और भाजपा-नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की उदासीनता है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि TISS प्रशासन और केंद्र सरकार मिलकर कर्मचारियों और छात्रों के हितों की अनदेखी कर रहे हैं।

छात्रों ने इस बड़े पैमाने पर टर्मिनेशन से उत्पन्न होने वाली शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की कमी पर चिंता जताई है। बयान में कहा गया, “पिछले वर्षों के NIRF डेटा से पता चलता है कि छात्र-शिक्षक अनुपात नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है। इसका मतलब है कि वर्तमान में नियुक्त फैकल्टी TISS में हर साल भर्ती होने वाले छात्रों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त नहीं है।” इससे संस्थान की शैक्षिक गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है।

TISS, जो लगभग 90 वर्षों से एक प्रमुख सामाजिक विज्ञान संस्थान के रूप में स्थापित है, अपने फैकल्टी और स्टाफ के योगदान के माध्यम से एक विशिष्ट स्थान रखता है। पिछले साल, भाजपा-नेतृत्व वाले केंद्र ने TISS का पूर्ण रूप से ‘सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थान’ बना दिया, जिससे छात्रों को सहायता मिलने में देरी और फीस के नाम पर धमकाने की घटनाएं बढ़ गई हैं। प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने कहा कि केंद्रीय सरकार के अधिग्रहण से आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों पर मौद्रिक दबाव बढ़ गया है।

प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम ने मांग की है कि TISS प्रशासन तुरंत बड़े पैमाने पर टर्मिनेशन को रद्द करे और केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के साथ आवश्यक व्यवस्थाएं करे ताकि पहले टाटा एजुकेशन ट्रस्ट के तहत कार्यरत कर्मचारियों की जिम्मेदारी ली जा सके। फोरम ने यह भी मांग की है कि वैकल्पिक रूप से, सरकार को टाटा एजुकेशन ट्रस्ट के शीर्ष प्रबंधन के साथ तात्कालिक चर्चा करनी चाहिए ताकि इन पदों के लिए फिर से फंडिंग की व्यवस्था की जा सके और सभी नौकरियां सुरक्षित रहें।