प्रदीप मिश्रा जैसे विचारकों के विचार इस विवाद को और तेज कर देते हैं। उनका मानना है कि हिन्दुओं को चार बच्चे पैदा करने की आवश्यकता है, और इन बच्चों को धार्मिक और राष्ट्रिय कार्यों में शामिल करना चाहिए।
प्रदीप मिश्रा के इस प्रस्ताव का समर्थन और विरोध दोनों हैं। उनके समर्थक उनकी इस बात को समझते हैं कि धर्म और संस्कृति की संरक्षा केवल जनसंख्या के वृद्धि से ही संभव है। उनका विचार है कि अगर हिन्दू समुदाय ने अपनी जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया तो वे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को खो सकते हैं।
प्रदीप मिश्रा के इस बयान ने समाज में विवादों की चिंगारी फैला दी है। उनका यह मानना है कि एक हिन्दू परिवार के चार बच्चों को देने से धर्म और राष्ट्र की सेवा में निवेश किया जा सकता है। वे उन्हें सनातन सेवा और राष्ट्र सेवा में शामिल होने का सुझाव देते हैं।
हालांकि, इस प्रस्ताव को समाज में बहुत समीक्षा के अवसर पर किया जा रहा है। कुछ लोग इसे धर्मान्तरण और धार्मिक प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने का तरीका मानते हैं, जबकि कुछ इसे जनसंख्या नियंत्रण के रूप में देखते हैं जो समाज के लिए स्वास्थ्यकर नहीं है।
इस बयान के द्वारा, समाज को विचार करने की जरूरत है कि कौन सा तरीका सही है। क्या हमें धर्म और संस्कृति की सुरक्षा के लिए जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता है, या फिर इसे स्वतंत्र और स्वास्थ्य निर्णय के रूप में देखा जाना चाहिए, यह विचारने योग्य