महात्मा गांधी रीपा पर उद्योगों और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ राज्य योजना आयोग में आयोजित की गई कार्यशाला

 

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए प्रारंभ किए गए महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के मॉडल को और अधिक मजबूत बनाने के लिए आज राज्य योजना आयोग के महात्मा गाँधी सभा कक्ष में शासन की रीपा योजना के अंतर्गत विभिन्न इंडस्ट्रीज एवं कॉर्पोरेट स्टेकहोल्डर के साथ कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में रीपा मॉडल को और अधिक मजबूत बनाने के लिए रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में प्रायवेट सेक्टर्स की भागीदारी पर जोर दिया गया। कार्यशाला में ग्रामीण कृषि और गैर कृषि क्षेत्र से संबंधित 30 से अधिक निजी क्षेत्र की संस्थाओं ने शिरकत की।कार्यशाला के प्रारम्भ में मुख्यमंत्री के योजना एवं नीति सलाहकार प्रदीप शर्मा ने सभी प्रतिभागियों को राज्य सरकार के फ्लैगशिप कार्यकम नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी (एनजीजीबी) पर विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने गौठान से लेकर रीपा तक के सफर की विस्तृत जानकारी देते हुए, रीपा मॉडल के हरेक पहलू का उल्लेख किया और रीपा के अंतर्गत आने वाले उद्यमों और विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने रीपा मॉडल को और मजबूत करने के लिए प्राइवेट सेक्टर्स के भागीदारी पर भी जोर दिया। इस अवसर पर श्री प्रदीप शर्मा ने बताया कि रीपा का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका संवर्धन के नए आयाम विकसित करना है।राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री अजय सिंह ने कार्यशाला में बदलती आर्थिक परिस्थितियों में ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश एवं आर्थिक संभावनाओं पर अपनी बात रखी, साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए शासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने ग्रामीण युवाओं की रोजगार के लिए शहरों पर निर्भरता को कम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार एवं उद्यमिता बढ़ाने में रीपा की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों से उनकी अपेक्षाओं एवं प्रस्तावित सहयोग पर भी चर्चा की, इसके बाद प्रतिभागियों ने अपने विचार सभी अतिथियों के सामने रखे एवं रीपा योजना में यथा उचित सहयोग का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्य योजना आयोग के सदस्य डॉ. के. सब्रमनियम ने ग्रामीण विकास एवं औद्योगीकरण में निजी क्षेत्रों के योगदान पर प्रकाश डाला, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में असंगठित संस्थाओं को संगठित करने पर जोर दिया। इसके बाद कृषि उत्पादन आयुक्त एवं सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कृषि एवं कृषि उत्पादन के मुख्य संवर्धन और इसमें रीपा की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किये, उन्होंने भी असंगठित अर्थव्यवस्था को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए संभावित हस्तक्षेप करने पर जोर दिया।

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एम.के. वर्मा, रीपा योजना के नोडल अधिकारी डॉ. गौरव सिंह एवं राज्य योजना आयोग के अधिकारी एवं कर्मचारी तथा प्रतिभागीगण उपस्थित थे।ग्रांट थोरंटोन भारत एल.एल.पी., राज्य योजना आयोग की सहयोगी के रूप में रीपा के क्लस्टर मॉडल की अवधारणा को निजी संस्थाओं के साथ संयुक्त रूप में बड़े पैमाने में लें जाने के लिए वचनबद्ध है। कार्यशाला के अंत में राज्य योजना आयोग के अध्यक्ष श्री अजय सिंह ने सहयोगियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।