दुर्ग (छत्तीसगढ़)। नगर निगम, दुर्ग के बहुचर्चित फ्लेक्स घोटाले की फाइलें एंटी करप्शन ब्यूरो के हवाले कर दी गई है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने मामले की जांच के लिए निगम कमिश्नर से मामले से जुड़े दस्तावेज व फाइलें तलब की थी। इस पर फाइलों की सत्यापित प्रतिलिपि ब्यूरो को सौंपा गया है।
बता दें कि निगम की जांच में मामले में 8 लाख 65 हजार से ज्यादा के घोटाले की पुष्टि पहले ही हो चुकी है। निगम की जांच में तत्कालिन कमिश्नर सुनील अग्रहरि, राजस्व निरीक्षक चंद्रकांत शर्मा, सहायक राजस्व निरीक्षक पवन नायक द्वारा ठेकेदार सिंह कंस्ट्रक्शन के अनिल सिंह से मिलीभगत कर गड़बड़ी करने की पुष्टि हो चुकी है। वर्ष 2018 व 19 के मध्य लोकसभा चुनाव और इसके बाद शासन के निर्देश पर नगर निगम द्वारा मतदान जागरूकता से जुड़े ईको फ्रेंडली फ्लेक्स लगाए गए थे। चुनाव के बाद पर्यावरण जागरूकता अभियान को लेकर भी फ्लेक्स लगाए गए। इस दौरान तात्कालीन निगम सभापति राजकुमार नारायणी ने मामले में गड़बड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाए थे कि रिकॉर्ड में जितने फ्लेक्स बताए जा रहे हैं, उतने लगाए नहीं गए हैं। इस पर कमिश्नर इंद्रजीत बर्मन ने मामले की जांच कराई। इसमें शिकायत सही पाई गई। जांच में कूटरचना का सहारा लेकर 8 अप्रैल, 10 अप्रैल को दो बार, 19 अप्रैल को 5 बार और 29 अप्रैल को कार्यादेश जारी कर 8 लाख 65 हजार 476 रुपए आहरित कर लेने की पुष्टि हुई है।
जांच में आर्थिक अनियमितता की पुष्टि होने के बाद कमिश्नर इंद्रजीत बर्मन ने संचालनालय नगरीय प्रशासन को पत्र लिखकर तत्कालीन कमिश्नर सुनील अग्रहरि, राजस्व निरीक्षक चंद्रकांत शर्मा, सहायक राजस्व निरीक्षक पवन नायक और ठेकेदार अनिल सिंह के खिलाफ कुटरचना कर फाइल तैयार करने और धोखाधड़ी के मामले में आईपीसी की धारा 467, 468 और 420 के तहत पुलिस में अपराध दर्ज करने की अनुमति मांगी है। पत्र के साथ उन्होंने मामले की नस्ती भी संचालनालय में भेजी है, लेकिन अब तक एफआईआर की अनुमति नहीं मिली है।
निगम आयुक्त इंद्रजीत बर्मन ने बताया कि एसीबी ने मामले से जुड़े दस्तावेजों की मांग की थी। इस पर सभी संबंधित फाइलों की सत्यापित प्रतिलिपि उपलब्ध करा दी गई है। संचालनालय से एफआईआर से संबंधित पत्र का जवाब नहीं आया है। सचिव फिलहाल छुट्टी पर है। उनके लौटने के बाद अनुमति मिलने की उम्मीद है।
एसीबी की जांच अधिकारी ने मांगी थी फाइलें
राज्य आर्थिक अपराध अंवेषण एंटी करप्शन ब्यूरो ने निरीक्षक प्रमोद सिंह वट्टी को मामले की जांच अधिकारी नियुक्त किया है। निरीक्षक ने सप्ताहभर पहले निगम कमिश्नर को पत्र लिखकर मामले से जुड़े निविदा, कोटेशन और विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों के साथ संबंधित सभी दस्तावेजों की मांग की थी। उन्होंने इसके लिए शिकायत पर मामले की अलग से जांच का हवाला दिया था।
10.52 लाख की 11 नस्तियां गायब
मामले में सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि जांच के दौरान राजस्व निरीक्षक चंद्रकांत शर्मा और सहायक राजस्व निरीक्षक पवन यादव ने 981 से 989 तक और 6851 व 6852 कुल 11 नस्तियां गायब कर दी। ताकि उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सके। जानकारी के मुताबिक इन नस्तियों के सहारे 10 लाख 52 हजार 432 रुपए उड़ाने की तैयारी थी, लेकिन मामला खुल गया, लेकिन इन नस्तियों को निगम अब तक ढूंढ नहीं पाई है।