आयुक्त के आदेश को दरकिनार कर एमआईसी ने बदला बाजार विभाग अधिकारी

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। नगर पालिक निगम में हुए पार्किंग घोटाले को लेकर जारी घमासान लगातार जारी है। अब निगम आयुक्त के आदेश को महापौर परामर्शदात्री परिषद (एमआईसी) ने दरकिनार कर दिया है। परिषद ने बाजार विभाग के अधिकारी पद पर ईई मोहनपुरी गोस्वामी को नियुक्त किए जाने का फैसला लिया है। एमआईसी द्वारा लिए गए इस निर्णय को आयुक्त के अधिकार पर अतिक्रमण माना जा रहा है।
बता दें कि निगम क्षेत्र के इंदिरा मार्केट व बस स्टैंड पार्किंग घोटाला के सामने आने के बाद निगम आयुक्त द्वारा बाजार अधिकारी थानसिंह यादव को अन्य विभाग में स्थानांतरित कर दिया था। विभाग अधिकारी के पद का दायित्व राजस्व निरीक्षक नारायण यादव को सौंपा गया था। साथ ही सहायक बाजार अधिकारी भी नियुक्त किए गए थे। इस आदेश के चंद दिनों के बाद ही आज महापौर धीरज बाकलीवाल की अध्यक्षता में एमआईसी की बैठक आयोजित की गई, जिसमें यह निर्णय लिया गया है।
लिए गए निर्णय के अनुसार स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 को देखते हुये स्वास्थ्य अधिकारी दुर्गेश गुप्ता को केवल स्वास्थ्य विभाग में स्वच्छता के कार्यो देखने की जवाबदारी सौंपी गई है। उन्हें लायसेंस शाखा के प्रभार से मुक्त कर दिया गया है। महापौर परिषद ने कार्यपालन अभियंता मोहनपुरी गोस्वावमी को उनके मूल कार्य के साथ ही बाजार अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार दिए जाने का निर्णय लिया है। बैठक में सभापति राजेश यादव, आयुक्त इंद्रजीत बर्मनए एमआईसी प्रभारी अब्दुल गनी, दीपक साहू, संजय कोहले, भोला महोबिया, जयश्री जोशी, मनदीप सिंह भाटिया, सत्यवती वर्मा, जमुना साहू, अनुप चंदानियॉ, हमीद खोखर तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
इसके अलावा एमआईसी की बैठक में झाडूराम देवांगन शास. उच्चतर माध्यमिक शाला में रिनोवेशन मरम्मत कार्य के लिए 36 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। शास. आदर्श कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला में रिनोवेशन कार्य के लिए मे. कोसरे कंस्ट्रक्शन भिलाई की दर को स्वीकृत किया गया। वर्ष 2020-21 हेतु वाहन शाखा व स्वास्थ्य विभाग में उच्च कुशल, कुशल एवं अकुशल मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए आमंत्रित निविदाओं का परीक्षण कर पात्र न्यूतम निविदाकार की दर स्वीकृति भी दी गई। बैठक में अध्यक्ष की अनुमति से दो और प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा कर निर्णय लिया गया। जिसमें बाजार विभाग के सभी लंबित प्रकरणों का निराकरण करने का निर्णय लिया गया। निगम स्वामित्व की दुकानों के मूल स्वरुप में परिर्वतन करने वालों पर शुल्क लेकर कार्यवाही करने, निगम की विभागीय सेटअप को व्यवस्थित करने, अनुकम्पा नियुक्ति एवं पदोन्नति प्रकरणों की जांच कर कार्यवाही करने का निर्णय लिया गया।

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