मुंबई। ओडिशा के कारीगरों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 25 अक्टूबर से उत्थान मेला का आयोजन किया जा रहा है। यह उत्थान मेला 7 नवंबर तक रहेगा। इस मेले का उद्घाटन ओडिशा डीसी हेंडीक्राफ्ट के शुभाजीत और ओडिशा के स्टेट समन्वयक अम्बित मिश्रा द्वारा इस ऑनलाइन मेले का उद्घाटन किया गया है। कोरोना के दौर में सरकार द्वारा दी गाइडलाइन्स को ध्यान रखते हुए ये मेला पूरी तरह से वर्चुअल है।
कंसल्टेंट जगदीश का. काशिकर ने बताया कि उत्थान ने अपनी वेबसाइट( uthhan.org) और एप बनाया है जिसके अंतर्गत कारीगर व् मजदूर अपने घर पर अपनी किसी भी कला से निर्मित उत्पाद बनाकर ऑनलाइन बेच सकते हैं। इसमें बिचौलिया न होने के कारण इनकी मेहनत का पैसा इन्हें मिलेगा। इस मेले में वर्चुअल तरह से ओडिशा के कारीगरों को अपनी कलाकृतियों को प्रस्तुत करना है। इन कलाकृतियों में ओडिशा की संस्कृति को दर्शाना कारीगरों के लिए अनिवार्य है। लोग एक ही जगह पर बिना अपनी सुरक्षा को दांव पर लगे हुए वो इस मेले का लुत्फ उठा सकते हैं। आप यहाँ पर आराम से अपने मनपसंद के सामान को खरीद सकते है। इस मेले का उदेश्य कारीगरों की खोई हुई खुशियाँ और प्रेरणा को वापस लाना है। ओडिशा मेला में कास्ट वर्क, सिल्वर फ़िग्री, वुड क्राफ्ट, अप्पेलिक वर्क, ब्रास एंड बेल मेटल वर्क, ढोकरा कास्टिंग, हॉर्न वर्क, पेटाचिट्रा, पेपर माचे, टेराकोटा, टाई और डाई टेक्सटाइल इन कॉटन, तसर और सिल्क आदि आपको मिलेगा। ओडिशा शिल्प मेला 2020 में उनके उत्पादों को खरीदकर अपना समर्थन दिखाएं। ग्राहकों द्वारा की गई प्रत्येक बिक्री से कारीगरों को सीधा लाभ होगा, जो कारीगरों के चेहरे पर मुस्कान लाएगा।
बता दें कि भारतीय राज्योँ में ओड़िसा एक समृद्ध सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत है,कारण अतीत में विभिन्न शासकों के शासनकाल के दौरान ओडिशा में कला और पारंपरिक हस्तशिल्प, चित्रकला और नक्काशी, नृत्य और संगीत के रूपों में आज एक कलात्मक विविधता देने के लिए कई परिवर्तन हुए। ओडिशा में मुख्य हस्तशिल्प पिपली काम, पीतल और बेल धातु, चांदी के महीन और पत्थर नक्काशी शामिल हैं। ओडिशा की हर कारीगरी में उसको बनाने वाले की झलक साफ़ दिखाई देती है. ओडिशा कई विभिन्न कलाओ के लिए जाना जाता है जैसे पिपली अपनी कलाकृति के लिए जाना जाता है। पुरी में जगन्नाथ मंदिर, भूबनेस्वर में लिंगराज मंदिर , मुक्तेस्वर ,राजारानी और अनेक मंदिर अपने पत्थर की कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है। कटक अपने चांदी के तारकशी काम, ताड़ का पट चित्र , नीलगिरी (बालासोर) प्रसिद्ध पत्थर के बर्तन और विभिन्न आदिवासी प्रभावित संस्कृतियों के लिए जाना जाता है। कोणार्क में सूर्य मंदिर अपनी स्थापत्य वैभव के लिए प्रसिद्ध है, जबकि संबलपुरी कपड़ा विशेष रूप से संबलपुरी साड़ी, अपनी कलात्मक भव्यता में इसके बराबर होती है।