रायपुर, 16 मई 2025।
छत्तीसगढ़ के वनवासी अंचलों में इस वर्ष भी तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य पूरे जोर-शोर से जारी है। राज्य की 902 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से 10,631 फड़ों में यह कार्य संचालित हो रहा है। हालांकि इस बार असमय बारिश, तूफान और ओलावृष्टि से तेंदूपत्ता फसल को नुकसान जरूर पहुंचा है, लेकिन संग्राहक परिवारों की मेहनत और राज्य सरकार की प्रतिबद्धता ने इस चुनौती को अवसर में बदल दिया है।
अब तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, 10 लाख से अधिक संग्राहक परिवारों ने 10.84 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता फड़ों में विक्रय किया है, जिसका कुल मूल्य लगभग 596 करोड़ रुपये आँका गया है। यह राशि DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से सीधे संग्राहकों के खातों में जमा की जाएगी। इसके लिए सभी जिला यूनियनों ने डाटा एंट्री की प्रक्रिया आरंभ कर दी है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस संबंध में कहा कि तेंदूपत्ता केवल वनोपज नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों के लिए आजीविका का मजबूत आधार है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर को 4000 रुपये से बढ़ाकर 5500 रुपये प्रति मानक बोरा कर दिया है, जिससे संग्राहकों को पहले की तुलना में अधिक लाभ मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि संग्राहकों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य समय पर और पारदर्शिता के साथ मिले। तेंदूपत्ता से प्राप्त आय से लाखों वनवासी परिवार न केवल अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में भी सुधार कर रहे हैं।
तेंदूपत्ता खरीदी के साथ-साथ पत्तों का उपचार, बोरा भराई और परिवहन का कार्य भी शुरू हो चुका है। राज्य सरकार को विश्वास है कि निर्धारित संग्रहण लक्ष्य शीघ्र ही प्राप्त कर लिया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया छत्तीसगढ़ को वनोपज आधारित रोजगार सशक्त राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
