क्या युद्ध की भूख को रोका जा सकेगा? शांति की अपील ने उठाई गंभीर सवालों की चिंगारी

रायपुर, 9 मई 2025। पहलगाम की दुखद घटना के बाद देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है, और हर भारतीय दिल में गहरी पीड़ा है। इस दुखद घड़ी में, जहां सभी की भावनाएं चरम पर हैं, वहीं कुछ मीडिया चैनल्स युद्ध की बढ़ती आवाज को हवा देने में जुटे हुए हैं। यह चैनल्स, टीआरपी बढ़ाने की अंधी दौड़ में, किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, यहां तक कि वे परमाणु युद्ध की गंभीरता को न समझते हुए बदले की चीखें लगा रहे हैं।

अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान ‘हम देखेंगे’ ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है और भारत सरकार के सामने कुछ महत्वपूर्ण अपील रखी हैं। अभियान ने युद्ध की जगह कूटनीतिक समाधान की वकालत करते हुए, सरकार से इस गंभीर मसले पर ठोस कदम उठाने की अपील की है। उनका कहना है कि सशक्त कानून और शांतिपूर्ण प्रतिरोध ही सही रास्ता हैं, न कि युद्ध।

अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान ने पाकिस्तान के आतंकी हमलों में संलिप्तता को उजागर करने के लिए एक संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव लाने की मांग की है, साथ ही उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था में चूक के लिए सख्त जिम्मेदारी तय करने का भी अनुरोध किया है। अभियान ने यह भी कहा है कि, कश्मीर के नागरिक अधिकारों की अविलंब बहाली हो और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस किया जाए।

यहां, उन्होंने सरकार से यह भी अपील की है कि सांप्रदायिक वैमनस्य को फैलाने वाली ताकतों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएं और उन महिलाओं के खिलाफ सोशल मीडिया में चल रहे घृणित हमलों को तुरंत रोका जाए, जो सांप्रदायिक उन्माद के खिलाफ आवाज उठाती हैं।

अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान ने इस दुखद घटना को केवल एक विरोध के रूप में न देखे जाने की अपील की है, बल्कि इसे संघर्ष, सांप्रदायिक सद्भाव और शांति की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जाए। उनका कहना है कि, “युद्ध नहीं, शांति चाहिए – जनता के लिए, भविष्य के लिए”

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