नई दिल्ली, 10 मई 2025:
पाकिस्तान द्वारा भारत पर ड्रोन हमलों के बढ़ते प्रयासों को भारत की अत्याधुनिक ‘ड्रोन, डिटेक्ट, डिटर और डेस्ट्रॉय’ (डी4) प्रणाली द्वारा नाकाम किया जा रहा है, जिसे भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है। यह प्रणाली इजराइल के “आयरन डोम” जैसी है, जो गाजा और यमन में हमास और हूथी मिलिशिया के रॉकेट हमलों को नाकाम करती है।
भारत का यह ड्रोन-रोधी प्रणाली पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को काटने में बेहद प्रभावी साबित हो रहा है, जिसमें पाकिस्तान तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है।

इस प्रणाली को भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विभिन्न प्रयोगशालाओं के सहयोग से तेजी से विकसित किया, जो अब भारत की सभी तीन सेनाओं में लागू हो चुका है। DRDO ने इस प्रणाली को विकसित करने के लिए कम से कम चार विशेषीकृत प्रयोगशालाओं का समन्वय किया था।
सैन्य मामलों के प्रमुख जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में एक कार्यक्रम में ‘यूएएस’ (अमानवित हवाई प्रणाली) के युद्ध में बदलते प्रभावों पर जोर दिया और बताया कि ये प्रणाली युद्ध की रणनीति में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। उन्होंने बताया कि ड्रोन युद्ध की लागत को कम करने का एक प्रभावी तरीका बन गए हैं और भारत इस खतरे का सामना कर रहा है।
डी4 प्रणाली में ड्रोन का पता लगाने और पहचानने के लिए रडार, रेडियो फ्रिक्वेंसी डिटेक्शन सिस्टम और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल पहचान प्रणालियों का संयोजन किया गया है। अगर ड्रोन को हल्का झटका देने वाली तकनीकें काम नहीं करतीं, तो फिर उन्नत लेजर हथियारों से उसे नष्ट कर दिया जाता है।
इस प्रणाली के लिए भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई ‘सॉफ्ट किल’ तकनीक में रेडियो फ्रिक्वेंसी जैमिंग, जीएनएसएस जैमिंग और जीपीएस स्पूफिंग जैसी तकनीकें शामिल हैं। अगर यह प्रणाली काम नहीं करती, तो ‘हार्ड किल’ तकनीक के तहत उच्च-ऊर्जा वाली लेजर प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
डी4 प्रणाली के वाहन-आधारित और स्थैतिक संस्करण दोनों उपलब्ध हैं। स्थैतिक संस्करण 360 डिग्री कवरेज प्रदान करता है और छोटे ड्रोन को भी नष्ट कर सकता है। इसे भारत में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा तैयार किया जा रहा है और यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत निर्मित हो रहा है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के कई सुरक्षा एजेंसियों ने इस प्रणाली की प्रभावशीलता को प्रमाणित किया है। इसके अलावा, यह प्रणाली अन्य देशों के रक्षा बलों को भी प्रदर्शित की गई है।
