अबूझमाड़ में विकास की नई राह: ITBP ने छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर बनाया आखिरी फॉरवर्ड बेस, हाईवे निर्माण का रास्ता साफ

नई दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभाव वाले अबूझमाड़ क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने अपना पांचवां और अंतिम फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (COB) तैयार कर लिया है। यह बेस नारायणपुर जिले के नेलांगुर में बुधवार को स्थापित किया गया। इसके साथ ही अब इस अत्यंत दुर्गम और नक्सल-प्रभावित क्षेत्र को महाराष्ट्र के अबूझमाड़ से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 130D बनाने का रास्ता साफ हो गया है।

नेलांगुर बेस महाराष्ट्र सीमा से महज़ एक किलोमीटर दूर स्थित है और यह छत्तीसगढ़ की पश्चिमी सीमा पर आता है। अबूझमाड़, जिसे ‘अज्ञात भूमि’ कहा जाता है, करीब 4,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है और इसे सीपीआई (माओवादी) का गढ़ माना जाता है। यहां के घने जंगलों में माओवादी कैडर लंबे समय से छिपकर गतिविधियाँ चला रहे थे।

अधिकारियों ने बताया कि अबूझमाड़ को महाराष्ट्र से जोड़ने का काम जनवरी 2025 में शुरू किया गया था। इसके तहत ITBP की 41वीं और 45वीं बटालियन को नारायणपुर के इन दुर्गम इलाकों में COBs बनाने का जिम्मा सौंपा गया था।

अब तक ITBP ने मोहानदी, कोडलीयार, कुटुल, बेदमकोटी, पदमकोट और अंत में नेलांगुर में COBs बनाए हैं। अधिकारियों के अनुसार, इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में फॉरवर्ड बेस स्थापित करना छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे तेज़ अभियान रहा है।

अब ये COBs न केवल सुरक्षा बलों की पहुंच और तैनाती को आसान बनाएंगे, बल्कि इससे विकास कार्यों को भी गति मिलेगी। अबूझमाड़ के इस 40 किमी लंबे क्षेत्र में नक्सलियों की मजबूत उपस्थिति रही है, जहां वेस्ट बस्तर डिवीजन, नॉर्थ बस्तर डिवीजन और माड़ डिवीजन के माओवादी नेताओं और कैडरों की सक्रियता रही है।

ITBP अब इस क्षेत्र में शुरू होने वाले ‘भारतमाला परियोजना’ के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 130D के निर्माण कार्य की निगरानी और सुरक्षा करेगा। पहले यह कार्य सुरक्षा के अभाव के कारण रुका हुआ था।

इसके अलावा, सीमा सुरक्षा बल (BSF) भी नारायणपुर जिले के उत्तरी हिस्से में COBs स्थापित कर रहा है ताकि यह महाराष्ट्र के गड़चिरौली जिले से बेहतर रूप में जुड़ सके और संचार एवं सड़क नेटवर्क को विस्तार मिल सके।

गौरतलब है कि ITBP वर्ष 2009 से छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों में तैनात है। पहले इसे राजनांदगांव, फिर नारायणपुर और कोंडागांव जिलों में 2015 में तैनात किया गया था।

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