पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को अपने सरकारी आवास एक अणे मार्ग पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इस इफ्तार में कई मुस्लिम नेताओं और समाज के लोगों ने शिरकत की, हालांकि 7 मुस्लिम संगठनों ने इस आयोजन का बॉयकॉट किया था।
बड़ी संख्या में रोजेदार पहुंचे, कैमरा और मोबाइल ले जाने की मनाही
बॉयकॉट के बावजूद, बड़ी संख्या में रोजेदार मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। हालांकि, इफ्तार पार्टी में कैमरा और मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध था। पूर्व मंत्री मोनजीर हसन भी इस आयोजन में शामिल हुए और कहा, “नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए सबसे ज्यादा काम किया है। अगर वे बुलाते हैं, तो मैं जेडीयू में वापस आ सकता हूं।”

2025 विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा सियासी संदेश
नीतीश कुमार की इस इफ्तार पार्टी को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुस्लिम समाज के बड़े वर्ग को अपने साथ बनाए रखने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। इस आयोजन को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को चुनौती देने की कोशिश भी माना जा रहा है।
मुस्लिम संगठनों के बहिष्कार पर JDU और BJP का पलटवार
इफ्तार के बॉयकॉट को लेकर जेडीयू और बीजेपी ने इसे साजिश करार दिया।
- जेडीयू एमएलसी खालिद अनवर ने बहिष्कार के लिए जारी कथित पत्र को फर्जी बताया।
- बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि आरजेडी मुस्लिम-यादव समीकरण को अपनी बपौती समझती है, लेकिन अब मुस्लिम समाज ने उससे दूरी बना ली है।
राजनीतिक समीकरणों पर असर
नीतीश कुमार की इस दावत-ए-इफ्तार को मुस्लिम समाज को अपनी ओर बनाए रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। यह आयोजन बिहार की राजनीति में आने वाले दिनों में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है।
