रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रविवार को राजधानी रायपुर में वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के निवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने ज्ञानपीठ सम्मान की घोषणा पर शुक्ल को हार्दिक बधाई दी और कहा कि यह पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने शुक्ल को शॉल-श्रीफल और बस्तर आर्ट का प्रतीक चिन्ह ‘नंदी’ भेंट कर सम्मानित किया।
छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री साय ने कहा, “आपके विशिष्ट साहित्यिक योगदान को ज्ञानपीठ सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा से पूरा प्रदेश गौरवान्वित है। आपने छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है। यह मेरा सौभाग्य है कि इस खुशी के अवसर पर मैं आपसे मिल रहा हूं।”

राजनांदगांव की विरासत पर चर्चा
मुख्यमंत्री ने बातचीत के दौरान कहा कि राजनांदगांव छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी है, जहां गजानन माधव मुक्तिबोध, डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी और बलदेव प्रसाद मिश्र जैसे महान साहित्यकारों ने अपनी साधना की है। इस पर शुक्ल ने अपने बचपन की यादें साझा करते हुए कहा, “मेरा जन्म राजनांदगांव में हुआ था। बचपन का नांदगांव आज भी मेरे मन पर बसा हुआ है, लेकिन समय के साथ उसमें काफी बदलाव आ गया है।”
परिवारजनों से भी की मुलाकात
मुख्यमंत्री ने विनोद कुमार शुक्ल के परिवारजनों से भी मुलाकात की और उनका हाल-चाल जाना। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, प्रेस अधिकारी आलोक सिंह, सचिव पी. दयानंद, जनसंपर्क आयुक्त रवि मित्तल, रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की यह भेंट साहित्य और संस्कृति के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। ज्ञानपीठ सम्मान छत्तीसगढ़ के साहित्यिक योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है।
