बेंगलुरु: कर्नाटक में हनीट्रैप मामले ने राजनीतिक भूचाल ला दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद बसवराज बोम्मई ने शुक्रवार को कहा कि इस कांड ने पूरे देश में कर्नाटक की साख को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की मांग की।
‘अपराधी कैबिनेट’ का आरोप
नई दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए बोम्मई ने कांग्रेस सरकार पर “अपराधी कैबिनेट” चलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “कर्नाटक सरकार पूरी तरह से नैतिक और राजनीतिक पतन का शिकार हो चुकी है। महज दो साल में कांग्रेस सरकार के करीब 10 घोटाले सामने आ चुके हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “इस सरकार में हर तरफ घोटाले ही घोटाले हैं। अब राज्य वित्तीय संकट से जूझ ही रहा था कि ‘हनी क्राइसिस’ भी शुरू हो गया। सरकार न केवल आर्थिक रूप से बल्कि नैतिक रूप से भी दिवालिया हो चुकी है। जब कैबिनेट मंत्री खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उन्हें फंसाने की कोशिश हुई, तब इसे क्या कहा जाए?”
48 सीडी होने का दावा
सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने विधानसभा में दावा किया कि हनीट्रैप मामले से जुड़ी 48 सीडी मौजूद हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बोम्मई ने कहा कि यदि राजन्ना के पास और जानकारी है, तो उन्हें जांच एजेंसियों को सबूत सौंपने चाहिए। उन्होंने मांग की कि मामले की जांच हाईकोर्ट के मौजूदा या रिटायर्ड जज की निगरानी में हो।
सिद्धारमैया का जवाब
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने साफ किया कि “इस मामले में किसी को बचाने का सवाल ही नहीं उठता।” उन्होंने कहा कि यदि राजन्ना औपचारिक शिकायत दर्ज कराते हैं, तो उच्चस्तरीय जांच की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि केवल आरोपों के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। “जब तक ठोस सबूत नहीं मिलते, तब तक सरकार किसी के खिलाफ कदम नहीं उठा सकती।”
वहीं, विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक, अरगा ज्ञानेंद्र, विधायक सुनील कुमार और मंत्री के.एन. राजन्ना ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाते हुए दोषियों को बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि “सरकार को विधानसभा की गरिमा बनाए रखने के लिए स्पष्ट जवाब देना होगा।”
अब यह देखना होगा कि इस विवाद में आगे क्या मोड़ आता है और क्या कांग्रेस सरकार इस मामले पर पारदर्शी जांच करवा पाएगी या नहीं।
