भारत के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार राम वंजी सुतार (Ram Vanji Sutar) का जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंदूर गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में कई ऐतिहासिक और भव्य मूर्तियों का निर्माण किया है, जिनमें विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” (182 मीटर) शामिल है। उनके इस अद्वितीय योगदान ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
राम वंजी सुतार का बचपन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उनके हाथों में कला की अद्भुत प्रतिभा थी। अपने गुरु रामकृष्ण जोशी से प्रेरणा लेकर उन्होंने मुंबई के सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट में प्रवेश लिया। साल 1953 में उन्होंने मॉडेलिंग में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर मेयो गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद, 1954 से 1958 तक वे औरंगाबाद के पुरातत्व विभाग में कार्यरत रहे, जहां उन्होंने अजंता और एलोरा की गुफाओं में मूर्तियों के पुनर्स्थापन (रेस्टोरेशन) का कार्य किया।

1958-59 में उन्होंने भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय में तकनीकी सहायक के रूप में कार्य किया, लेकिन 1959 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर एक स्वतंत्र मूर्तिकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की।
ऐतिहासिक मूर्तियां और प्रमुख योगदान
राम वंजी सुतार ने अब तक 8,000 से अधिक मूर्तियों का निर्माण किया है, जिनमें कई ऐतिहासिक हस्तियों की प्रतिमाएं शामिल हैं। उनकी प्रमुख मूर्तियां इस प्रकार हैं:
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (182 मीटर) – सरदार वल्लभभाई पटेल, गुजरात
- भगवान कृष्ण-अर्जुन रथ – ब्रह्मसरोवर, कुरुक्षेत्र
- 45 फुट ऊंची चंबल देवी की मूर्ति – मध्य प्रदेश
- 21 फुट ऊंची महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति – अमृतसर
- 18 फुट ऊंची सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति – संसद भवन, नई दिल्ली
- 17 फुट ऊंची महात्मा गांधी की मूर्ति – गांधीनगर, गुजरात
- 9 फुट ऊंची डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति – जम्मू
- भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की आवक्ष प्रतिमा
- अयोध्या राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति (निर्माणाधीन)
सम्मान और पुरस्कार
राम वंजी सुतार को उनके उत्कृष्ट शिल्प कार्य के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- पद्मश्री (1999) – भारत सरकार द्वारा सम्मानित
- पद्म भूषण (2016) – कला के क्षेत्र में योगदान के लिए
- टैगोर कल्चरल अवॉर्ड (2018)
निष्ठा और समर्पण
93 वर्ष की आयु में भी राम वंजी सुतार पूर्ण रूप से सक्रिय हैं और अपने नोएडा स्थित स्टूडियो में कार्य कर रहे हैं। उनके पुत्र अनिल सुतार, जो पेशे से एक वास्तुकार हैं, अब उनके कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।
राम वंजी सुतार का सपना था कि उनकी बनाई हुई मूर्तियों को देखने के लिए दुनिया भर से लोग भारत आएं, और “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” के निर्माण के साथ उन्होंने यह सपना साकार कर दिखाया। उनकी कला भारतीय संस्कृति, इतिहास और गौरव का प्रतीक बन चुकी है।
