मुंबई: महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग ने तूल पकड़ लिया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने सरकार से मांग की है कि छत्रपति संभाजीनगर में स्थित औरंगजेब की मजार को हटाया जाए। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान इस कब्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का संरक्षण मिला था, लेकिन अब इसे हटाने पर कानूनी रूप से विचार किया जाएगा।
महाराष्ट्र में सुरक्षा बढ़ाई गई
बढ़ते विवाद को देखते हुए औरंगजेब की कब्र के पास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, विवाद के बाद मजार पर जाने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आई है।

“नफरत की निशानी क्यों रखनी?”
शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय शिरसाट ने कहा कि इस मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम संघर्ष के रूप में नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा,
“जब भी मैं वहां से गुजरता हूं और उस कब्र को देखता हूं, तो गुस्सा आता है। हमने प्यार की निशानियां नहीं तोड़ीं, फिर नफरत की निशानी क्यों रखनी?”
“राजनेताओं को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए”
एनसीपी-एससीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस मुद्दे को ऐतिहासिक बताते हुए कहा,
“राजनेताओं को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। विशेषज्ञों को निर्णय लेने दें। महाराष्ट्र सरकार को भ्रष्टाचार और अन्य जरूरी मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।”
रामदास आठवले ने औरंगजेब को बताया ‘क्रूर शासक’
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने भी औरंगजेब की आलोचना करते हुए कहा,
“औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या कर उनके शव के टुकड़े कर दिए थे। इतिहास में यह दर्ज है कि उनके शव को महार समाज के गोविंद मारने ने इकट्ठा कर अंतिम संस्कार किया था। अब जब ‘छावा’ फिल्म आई है, तो पूरे देश ने औरंगजेब के अत्याचार देखे हैं। इससे लोगों में गुस्सा बढ़ गया है और उनकी कब्र हटाने की मांग तेज हो गई है।”
सरकार के फैसले का इंतजार
सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार एवं देवेंद्र फडणवीस से जल्द निर्णय लेने की मांग की जा रही है। प्रशासन इस मुद्दे पर कोई विवाद न हो, इसके लिए सुरक्षा और क़ानूनी पहलुओं पर विचार कर रहा है।
