नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एआई रिसर्चर और एमआईटी वैज्ञानिक लेक्स फ्रिडमैन के पॉडकास्ट में रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपनी राय रखते हुए कहा कि केवल कूटनीति ही इस संघर्ष को समाप्त करने का एकमात्र व्यावहारिक तरीका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सैन्य जीत से दीर्घकालिक समाधान नहीं निकलेगा और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से सीधी वार्ता करने का आह्वान किया।
सीधी बातचीत ही समाधान: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि संघर्षरत देशों के बीच प्रत्यक्ष वार्ता आवश्यक है और केवल सहयोगी देशों पर निर्भर रहना व्यर्थ साबित होगा।

उन्होंने कहा, “यूक्रेन अपने सहयोगियों के साथ जितनी भी चर्चाएँ कर ले, लेकिन जब तक दोनों पक्ष सीधे संवाद नहीं करेंगे, तब तक इसका कोई समाधान नहीं निकलेगा।”
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि “वार्ता ही शांति का एकमात्र मार्ग है।”
वैश्विक दक्षिण पर युद्ध का असर
प्रधानमंत्री मोदी ने इस युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था, खासकर ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) पर पड़े प्रभाव को भी रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, “इस संघर्ष के कारण पूरी दुनिया को भोजन, ईंधन और उर्वरक संकट का सामना करना पड़ा है। वैश्विक समुदाय को एकजुट होकर शांति की दिशा में प्रयास करना चाहिए।”
रूस-यूक्रेन युद्ध की भयावहता
रूस द्वारा फरवरी 2022 में किए गए आक्रमण के बाद से यह युद्ध लाखों लोगों की जान ले चुका है, करोड़ों लोग विस्थापित हो चुके हैं और कई शहर खंडहर में तब्दील हो गए हैं।
इस युद्ध ने न केवल रूस और यूक्रेन को, बल्कि पूरी दुनिया को एक बड़े आर्थिक और मानवीय संकट में डाल दिया है।
संघर्ष विराम के लिए वैश्विक प्रयास
हाल ही में अमेरिका ने यूक्रेन के साथ सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी साझा करने पर सहमति व्यक्त की, जब कीव ने 30-दिन के संघर्ष विराम प्रस्ताव का समर्थन करने की बात कही।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि वह इस संघर्ष विराम के पक्ष में हैं, लेकिन इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तों का पूरा होना आवश्यक होगा।
युद्ध की कीमत: रूस और यूक्रेन दोनों को भारी नुकसान**
- अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, 2023 तक रूस के 1,00,000 से अधिक सैनिक हताहत हो चुके हैं।
- रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा है और उसे पश्चिमी देशों द्वारा कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है।
- यूक्रेन की अर्थव्यवस्था भी तबाह हो गई है।
- पश्चिमी सहायता के बावजूद, यूक्रेन अपनी 20% से अधिक भूमि खो चुका है।
पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय आया है जब पूरी दुनिया इस युद्ध को समाप्त करने के लिए कूटनीतिक समाधान तलाश रही है। उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट किया कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता और शांति के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।
