प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस का शुभारंभ किया, भारतीय प्रवासियों के लिए खास ट्रेन यात्रा

भुवनेश्वर, 9 जनवरी 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ओडिशा के भुवनेश्वर से प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह विशेष ट्रेन भारतीय प्रवासियों के लिए डिजाइन की गई है और इसका उद्देश्य भारतीय मूल के लोगों को उनके सांस्कृतिक और धार्मिक मूल से जोड़ना है। इस ट्रेन की शुरुआत महात्मा गांधी की 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में की गई है।

विशेष ट्रेन की विशेषताएं:

  • प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस भारतीय प्रवासियों (Person of Indian Origin – PIOs) के लिए तैयार की गई एक अत्याधुनिक टूरिस्ट ट्रेन है।
  • इसमें 45-65 वर्ष की आयु के प्रवासी भारतीय यात्रा कर सकते हैं, विशेष रूप से उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो निम्न आय वर्ग से आते हैं और अपने खर्च पर भारत आने में असमर्थ हैं।
  • यह ट्रेन 3 सप्ताह के दौरान भारत के कई प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थलों का भ्रमण कराएगी।

यात्रा का मार्ग: प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस की यात्रा नई दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से 9 जनवरी 2025 को शुरू होगी और यह अयोध्या, पटना, गया, वाराणसी, महाबलीपुरम, रामेश्वरम, मदुरै, कोच्चि, गोवा, एकता नगर (केवड़िया), अजमेर, पुष्कर और आगरा जैसे स्थलों पर जाएगी।

सरकारी योजना के तहत आयोजन: यह विशेष यात्रा विदेश मंत्रालय की प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना (PTDY) के तहत आयोजित की जा रही है, जिसे भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) के सहयोग से संचालित किया जाएगा।

खर्च की व्यवस्था:

  • भारत सरकार इस यात्रा के सभी खर्च वहन करेगी।
  • पात्र प्रवासी भारतीयों के लिए उनके मूल देशों से भारत आने-जाने के हवाई किराए का 90% हिस्सा भी सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
  • यात्रियों को केवल अपने हवाई किराए का 10% हिस्सा वहन करना होगा।

प्रधानमंत्री का संदेश: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह ट्रेन भारतीय प्रवासियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक शानदार प्रयास है। यह न केवल भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को देखने का अवसर है, बल्कि उन्हें भारत की समृद्ध परंपराओं और विरासत का अनुभव करने का भी मौका देगा।”

प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस भारतीय प्रवासियों के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करती है, जिसमें वे भारत की संस्कृति, परंपरा और ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देख सकते हैं। यह कदम भारत और प्रवासी समुदाय के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने में सहायक होगा।

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