नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डाल्लेवाल की भूख हड़ताल को लेकर पंजाब सरकार की भूमिका पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। डाल्लेवाल 26 नवंबर, 2024 से भूख हड़ताल पर हैं और उन्होंने मेडिकल सहायता लेने से इनकार कर दिया है।
गुरुवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने पंजाब सरकार के अधिकारियों पर मीडिया में यह गलत धारणा फैलाने का आरोप लगाया कि अदालत डाल्लेवाल को भूख हड़ताल खत्म करने का दबाव बना रही है। अदालत ने स्पष्ट किया, “हमने उनकी भूख हड़ताल खत्म करने का निर्देश नहीं दिया। हमारा निर्देश केवल यह था कि उनकी सेहत का ध्यान रखा जाए। वह अस्पताल में रहते हुए भी अपना शांतिपूर्ण विरोध जारी रख सकते हैं। आपको इस दृष्टिकोण से उन्हें समझाना होगा।”
न्यायालय ने कहा, “अस्पताल में स्थानांतरित करने का मतलब यह नहीं है कि वह अपनी भूख हड़ताल जारी नहीं रख सकते। अस्पताल में ऐसे मेडिकल संसाधन हैं जो उनकी जान को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। हमारा एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनकी जान बचाई जा सके। वह किसान नेता के रूप में कीमती हैं और किसी भी राजनीतिक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं। वह केवल किसानों के हित की लड़ाई लड़ रहे हैं।”
कोर्ट ने कहा कि जब डाल्लेवाल की सेहत सुरक्षित हो जाएगी, तो अदालत द्वारा गठित समिति का काम भी आसान हो जाएगा। यह टिप्पणियां अदालत ने लाभ सिंह की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी के खिलाफ अदालत के आदेशों का पालन न करने पर अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी।
अदालत ने पंजाब सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा, “आपका रवैया ऐसा है जैसे कोई सुलह नहीं होनी चाहिए। यही असली समस्या है।”