बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत नियुक्त लोकपाल (ओम्बड्समैन) पर सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।
न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु ने लोकपाल द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सूचना आयुक्त (एसआईसी) के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जो बस्तर निवासी द्वारा मांगी गई जानकारी को सार्वजनिक करने के निर्देश से संबंधित था।
मामले की पृष्ठभूमि
बस्तर निवासी बिरबल रात्रे ने 19 अगस्त 2015 को एक आरटीआई आवेदन दायर किया था। इसमें उन्होंने 1 जनवरी 2015 से लोकपाल के पास दर्ज की गई शिकायतों का विवरण, जांच रिपोर्ट, नोट्स और दर्ज बयान मांगे थे। ज़िला पंचायत के सीईओ ने आवेदन को लोकपाल को भेज दिया।
लोकपाल ने जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया, यह तर्क देते हुए कि मनरेगा अधिनियम के तहत गोपनीयता की बाध्यता है और आरटीआई अधिनियम की धारा 8 के तहत कुछ मामलों में जानकारी देने से छूट प्राप्त है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि लोकपाल सार्वजनिक प्राधिकरण की श्रेणी में आते हैं और आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी देने के लिए बाध्य हैं। अदालत ने राज्य सूचना आयुक्त के आदेश को सही ठहराते हुए लोकपाल को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया।
यह फैसला सूचना के अधिकार को मजबूत करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।