छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) भिलाई में ‘संस्कृति, भाषा और परंपराओं के केंद्र’ (CCLT) का उद्घाटन किया। इस केंद्र का उद्देश्य सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक ज्ञान, लुप्तप्राय भाषाओं और सतत विकास पर शोध को बढ़ावा देना है। यह केंद्र भाषाई विविधता, सांस्कृतिक बहुलता, पारिस्थितिक ज्ञान और छत्तीसगढ़ एवं भारत की सामूहिक स्मृति पर केंद्रित रहेगा।
कार्यक्रम में IIT भिलाई के निदेशक प्रोफेसर राजीव प्रकाश उपस्थित थे। राज्यपाल ने केंद्र का विशेष लोगो भी जारी किया, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और जनजातीय समुदायों की कलात्मक परंपराओं को दर्शाता है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के जनजातीय हस्तशिल्प की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।
राज्यपाल रमेन डेका ने भारत को दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक बताते हुए इसकी गहन दर्शन, कला और वास्तुकला की विरासत की प्रशंसा की। उन्होंने IIT भिलाई और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच सामाजिक-आर्थिक शोध में सहयोग पर संतोष व्यक्त किया और भविष्य में मजबूत साझेदारी की उम्मीद जताई।
इस दौरान राज्यपाल ने दो परियोजना रिपोर्ट जारी कीं:
- “बारसूर की धरोहर: इतिहास, वास्तुकला और पर्यटन पर दृष्टिकोण”
- “जीआई के माध्यम से आजीविका में वृद्धि: छत्तीसगढ़ पर एक अध्ययन”
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड के प्रबंध निदेशक विवेक आचार्य और छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ के कार्यकारी निदेशक मणिवासगन भी उपस्थित थे।
IIT भिलाई के निदेशक प्रोफेसर राजीव प्रकाश ने इसे एक बहु-विषयक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में वर्णित किया, जो समाज से संबंधित समस्याओं पर कार्रवाई-उन्मुख शोध करेगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक ज्ञान की संभावनाओं को उजागर करते हुए राज्य सरकार के निरंतर समर्थन की सराहना की।
यह केंद्र छत्तीसगढ़ और IIT भिलाई के शोध परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख शोध केंद्र के रूप में उभरना है, जो “विकसित भारत 2047” के उद्देश्यों के अनुरूप सामाजिक मुद्दों का समाधान करेगा।