भारत में परीक्षा पेपर लीक घोटाले: नौकरियों के सपनों पर संकट

नई दिल्ली: भारत में इस साल कई बड़े परीक्षा पेपर लीक घोटालों ने लाखों छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा प्रवेश परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक होने से छात्रों में हताशा और आक्रोश बढ़ रहा है। यह समस्या न केवल शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है, बल्कि देश में बढ़ती असमानता को भी सामने लाती है।

सरकारी नौकरियां: एक बेहतर भविष्य की उम्मीद
भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के बावजूद, श्रम-प्रधान विनिर्माण क्षेत्र में ठहराव है, जिससे पर्याप्त नौकरियों का सृजन नहीं हो पा रहा है। कृषि पर निर्भर लगभग आधी आबादी और अस्थिर निजी नौकरियों के बीच, सरकारी नौकरियां स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा का प्रतीक हैं।

परिवारों के लिए सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद सामाजिक और आर्थिक उत्थान का जरिया है। इसके लिए युवा सालों तक तैयारी करते हैं, अक्सर 20 के दशक के अंत तक बार-बार परीक्षाओं में बैठते हैं। कई युवा अपने सपनों को पूरा करने में असमर्थ रहते हैं और बाद में कोचिंग सेंटर चलाने या अन्य छात्रों को पढ़ाने का कार्य करते हैं।

प्रतिस्पर्धा के आंकड़े चौंकाने वाले
सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं में प्रतिस्पर्धा बेहद कड़ी है। पिछले साल, केंद्रीय सिविल सेवा के 1,000 पदों के लिए 13 लाख आवेदकों ने परीक्षा दी।

रेलवे की 35,000 नौकरियों के लिए 2021 में 1 करोड़ से अधिक आवेदन आए थे। इस परीक्षा में आई खामियों के चलते हिंसा तक भड़क गई। इसी साल, बैंक क्लर्क के 4,500 पदों के लिए 6.5 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा दी।

पेपर लीक से बढ़ी हताशा
परीक्षा पेपर लीक के लगातार मामलों ने छात्रों के विश्वास को हिला दिया है। इनमें शामिल घोटाले छात्रों के सपनों पर पानी फेर रहे हैं, और समाज में गुस्से का माहौल बना हुआ है।

सरकार पर सवाल और कदम उठाने की जरूरत
इन घोटालों ने सरकार को बार-बार मुश्किल में डाला है। विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *