रायपुर: बस्तर के धुड़मारास गांव ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर अपनी खास पहचान बना ली है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि के लिए पर्यटन विभाग, बस्तर जिला प्रशासन और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस सफलता का मुख्य श्रेय स्थानीय निवासियों को जाता है, जिन्होंने अपने पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों को संरक्षित रखते हुए इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल में बदला है।
अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर का संगम
धुड़मारास गांव प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विविधता और पारंपरिक आदिवासी जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध है। यह गांव कांगेर नदी के किनारे बसा है और घने जंगलों से घिरा हुआ है। पर्यटक यहां बस्तर के पारंपरिक व्यंजन, हरियाली और जैव विविधता का आनंद लेते हैं।
सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव उन्नयन कार्यक्रम में चयन
धुड़मारास को दुनिया के उन 20 गांवों में से एक के रूप में चुना गया है, जो सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव उन्नयन कार्यक्रम का हिस्सा बनेगा। इसे इसकी सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और सतत पर्यटन विकास की क्षमता के कारण चुना गया है। इस कार्यक्रम के तहत गांव को पर्यटन बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए संसाधन मिलेंगे।
बस्तर में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा
धुड़मारास और चित्रकोट गांव को 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस पर भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव का पुरस्कार दिया गया था। यह बस्तर में पर्यटन विकास का प्रतीक है। स्थानीय निवासियों ने अपने घरों को पर्यटकों के लिए खोल दिया है, जिससे उन्हें रोजगार मिल रहा है। युवा पर्यटकों को आसपास की जगहों की सैर कराते हैं और बस्तर के पारंपरिक व्यंजन परोसते हैं।
मुख्यमंत्री साय ने की सराहना
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि धुड़मारास गांव की सफलता से बस्तर में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी और यह क्षेत्र सतत विकास का उदाहरण बनेगा।