तिरुमला तिरुपति देवस्थानम का बड़ा फैसला: गैर-हिंदू कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति या स्थानांतरण का विकल्प

तिरुपति: तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करते हुए अपने बोर्ड में कार्यरत गैर-हिंदू कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने या आंध्र प्रदेश के अन्य सरकारी विभागों में स्थानांतरण का विकल्प चुनने का निर्देश दिया है।

TTD, जो तिरुपति स्थित विश्व के सबसे धनी हिंदू मंदिर, तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करता है, ने यह निर्णय हिंदू धर्म से जुड़े संस्थानों में केवल हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • TTD के अध्यक्ष बीआर नायडू ने इस निर्णय की पुष्टि की, हालांकि उन्होंने गैर-हिंदू कर्मचारियों की संख्या का खुलासा करने से इनकार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले का प्रभाव बोर्ड के 7,000 स्थायी कर्मचारियों में से लगभग 300 पर पड़ेगा।
  • यह कदम आंध्र प्रदेश एंडोमेंट्स एक्ट और TTD एक्ट के तहत लिया गया है, जो धार्मिक संस्थानों में केवल संबंधित धर्म के कर्मचारियों की नियुक्ति की अनुमति देता है।
  • 1989 में जारी सरकारी आदेश और TTD अधिनियम में किए गए संशोधनों ने इन नियमों को मजबूत किया है।

कानूनी समर्थन:
यह निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(5) के तहत समर्थित है, जो धार्मिक संस्थानों को अपने धर्म के अनुयायियों को ही नियुक्त करने की अनुमति देता है। नवंबर 2023 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी इस नियम को वैध ठहराते हुए कहा कि धार्मिक संस्थान अपने सेवा नियमों में यह शर्त जोड़ सकते हैं।

पृष्ठभूमि:
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब TTD और सरकार के बीच धार्मिक मामलों को लेकर विवाद बढ़ रहे हैं। हाल ही में, TTD ने YSRCP सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने मंदिर के प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू में पशु वसा से युक्त घी के उपयोग की अनुमति दी थी, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हुआ था।

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