नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत पर जांच की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के मामले की जांच के लिए दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्ज्वल भुयान की पीठ ने कहा कि यह ऐसा मुद्दा नहीं है, जिसे कोर्ट तय कर सके।

याचिकाकर्ता का दावा: “नेताजी 1985 में अयोध्या में मरे”

याचिकाकर्ता पिनाकी पाणि महंती ने अदालत में कहा कि नेताजी की मौत अब भी रहस्य बनी हुई है। उन्होंने दावा किया कि नेताजी 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में नहीं मरे थे, बल्कि उनकी मृत्यु 16 सितंबर 1985 को अयोध्या में हुई थी। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि नेताजी की मौत और गुमशुदगी पर बनी तीन जांच आयोगों ने अलग-अलग निष्कर्ष दिए हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा, “यह PIL नेताजी को न्याय दिलाने के लिए दायर की गई है। तीन आयोगों में से अंतिम आयोग, न्यायमूर्ति मनोज मुखर्जी, ने कहा था कि नेताजी की विमान दुर्घटना में मृत्यु नहीं हुई।”

कोर्ट ने दी ये सलाह

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता को संबोधित करते हुए कहा, “आप इस मामले को संबंधित मंच या प्राधिकरण के पास ले जाएं। यह नीति-निर्धारण से जुड़े मामले हैं। संसद या इतिहासकार इस पर बेहतर फैसला ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट हर मुद्दे का समाधान नहीं कर सकता।”

जब याचिकाकर्ता ने अपनी बात पर जोर दिया, तो न्यायमूर्ति ने टिप्पणी की, “आप राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, अपनी पार्टी में जाकर यह मुद्दा उठाइए। सुप्रीम कोर्ट सरकार का काम नहीं कर सकता।”

याचिका में आजाद हिंद फौज को स्वतंत्रता का श्रेय देने की मांग

याचिकाकर्ता ने नेताजी के मामले के अलावा यह भी मांग की कि भारत की स्वतंत्रता का श्रेय आजाद हिंद फौज को दिया जाए।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

अप्रैल में इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिवंगत राष्ट्रीय नेताओं के खिलाफ लगाए गए आरोपों को “गैर-जिम्मेदाराना” और “बेहद लापरवाह” करार दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर भी सवाल उठाए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page