छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने एक नया नियम प्रस्तावित किया है, जिसके तहत मस्जिदों में खतीब (शुक्रवार की नमाज के उपदेशक) को अपने खुतबा (उपदेश) से पहले राज्य वक्फ बोर्ड से अनुमति लेनी होगी। सरकार का कहना है कि बिना वक्फ बोर्ड की मंजूरी के कोई भी खुतबा नहीं दिया जा सकता।
इस प्रस्ताव ने विवाद खड़ा कर दिया है, और इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताया जा रहा है। वक्फ बोर्ड ने कहा है कि वह खुतबा की समीक्षा और मंजूरी देने के बाद ही इसे प्रस्तुत करने की अनुमति देगा। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि यह वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताया है, जो सभी को अपने धर्म का पालन और प्रचार करने का अधिकार देता है।
ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कहा, “छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का वक्फ बोर्ड चाहता है कि खतीब शुक्रवार की नमाज से पहले अपना खुतबा वक्फ बोर्ड को दिखाए और बोर्ड की अनुमति के बिना खुतबा न दे। अब भाजपा हमें बताएगी कि हमारा दीन क्या है? क्या हमें अपना दीन मानने के लिए उनसे अनुमति लेनी होगी?”
उन्होंने आगे कहा, “वक्फ बोर्ड के पास ऐसा कोई कानूनी अधिकार नहीं है। अगर होता भी, तो यह संविधान के अनुच्छेद 25 के खिलाफ होता।”
यह नीति अभी चर्चा के चरण में है, और राज्यभर में इसे लागू किया जाएगा या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है।