नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व नौकरशाह अनिल टुटेजा को उत्तर प्रदेश में दर्ज एक कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी। जस्टिस ए.एस. ओका और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ ने टुटेजा की अपील पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि “यदि उच्च न्यायालय के फैसले के तहत याचिकाकर्ता ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होता है, तो उसे हिरासत में नहीं लिया जाएगा।”
फरवरी 2020 में आयकर विभाग ने टुटेजा के परिसरों पर छापेमारी की थी और टिस हजारी अदालत में मामला दर्ज किया था। इसके आधार पर ED ने 18 नवंबर 2022 को प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की, जिसमें छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले का खुलासा हुआ था। अप्रैल 2023 में कोर्ट ने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र की कमी का हवाला देते हुए आयकर शिकायत वापस कर दी थी।
इस बीच, ED ने उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखा, जिसमें नोएडा की एक कंपनी M/s प्रिज्म होलोग्राफी एंड सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के बारे में जानकारी दी गई। इस सूचना के आधार पर, यूपी पुलिस ने टुटेजा सहित पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। कंपनी पर आरोप था कि उसे छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग के लिए शराब की बोतलों पर लगाने के लिए होलोग्राम आपूर्ति का टेंडर अवैध रूप से दिया गया था।
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ECIR को रद्द करते हुए कहा कि इसे दर्ज करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कोई निर्धारित अपराध नहीं है। इसके बाद, टुटेजा ने उत्तर प्रदेश में दर्ज एफआईआर को खारिज करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया, लेकिन उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि “28 जुलाई 2023 को ED द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य को जानकारी भेजना सही था और इस आधार पर 30 जुलाई 2023 को प्राथमिकी दर्ज की गई।”
अदालत ने यह भी कहा कि “PMLA अधिनियम की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए बयान और अन्य जानकारी के आधार पर FIR को जारी रखना सही था।”