छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर विवाद: कांग्रेस का आरोप – नई नीति से किसानों का नुकसान

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के शुरू होने से पहले ही राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। इस बार 14 नवंबर से धान खरीदी की शुरुआत हो रही है, लेकिन कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर किसानों के हितों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नई धान खरीदी नीति की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें कई नियम बदले गए हैं, जो किसानों के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।

भूपेश बघेल का कहना है कि इस बार सरकार ने केवल 47 दिनों का समय दिया है, जिससे 160 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल होगा। इसके लिए प्रतिदिन लगभग साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन धान खरीदी करनी होगी, जो असंभव लग रहा है। इसके साथ ही, धान खरीदी करने वाली समितियों के 13,000 कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिससे इस लक्ष्य को हासिल करना और भी कठिन हो जाएगा।

धान खरीदी के नियमों में बदलाव

भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने कांग्रेस सरकार की धान खरीदी नीति में बदलाव किए हैं। पहले बफर स्टॉक के उठाव के लिए 72 घंटे की समय सीमा थी, लेकिन अब इसे हटा दिया गया है। इसके अलावा, मार्कफेड द्वारा धान का निपटान 28 फरवरी से बढ़ाकर 31 मार्च तक कर दिया गया है। इसके साथ ही, धान मिलिंग के लिए प्रति क्विंटल दी जाने वाली राशि को 120 रुपए से घटाकर 60 रुपए कर दिया गया है।

समस्याओं का सामना करेंगे किसान और समितियां

भूपेश बघेल ने कहा कि नई नीति से समितियों को आर्थिक नुकसान होगा और कानूनी समस्याएं भी पैदा होंगी। धान की खरीदी में देरी होने से स्टॉक में रखा धान खराब हो सकता है, जिससे समितियों को नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, अब समितियों को उपार्जित धान को खुद लोड कर मिलर को देना होगा, जिससे उन पर आर्थिक बोझ और बढ़ जाएगा।

कांग्रेस ने नई नीति की आलोचना करते हुए इसे किसानों के खिलाफ साजिश करार दिया है। वहीं, सरकार का कहना है कि ये बदलाव सिस्टम को सुधारने के लिए किए गए हैं। देखना होगा कि धान खरीदी शुरू होने के बाद क्या समस्याएं आती हैं और इसका किसानों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page