छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पत्थरी में स्थित एशिया के दूसरे सबसे बड़े ट्रेनिंग सेंटर में अब नक्सल प्रभावित इलाकों के युवाओं को सेना, अग्निवीर और पुलिस भर्ती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस ट्रेनिंग सेंटर का उद्देश्य जवानों को गुरिल्ला युद्ध की तकनीकों से लैस करना था, पर अब यहां के जवान इन युवाओं को भी निशुल्क प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं। आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी से जूझ रहे इन ग्रामीण युवाओं को जंगलवार कॉलेज के डीएसपी अमर सिंह कुर्रे की पहल पर इस विशेष ट्रेनिंग का लाभ मिल रहा है।
हर भर्ती प्रक्रिया की तैयारी
इस सेंटर में युवाओं को दौड़, लंबी कूद, ऊंची कूद, ऊंचाई माप और लिखित परीक्षा जैसी भर्ती प्रक्रियाओं के लिए तैयार किया जा रहा है। इन युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए जवान अपने खुद के संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं ताकि उन्हें हर प्रकार से मजबूत बनाया जा सके। उनके दस्तावेज़ों की भी जांच की जा रही है ताकि भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी न हो।
युवाओं के अनुभव
इमलीपारा गांव से आए अनिल यादव ने बताया कि उन्हें भर्ती प्रक्रिया की जानकारी नहीं थी, लेकिन यहां आकर वे सभी आवश्यक प्रक्रियाओं के बारे में सीख रहे हैं। वहीं, नक्सल प्रभावित आमाबेड़ा गांव के अमित कुमार ने कहा कि उनके पास तैयारी करने के लिए कोई ग्राउंड नहीं था, पर यहां उन्हें ठीक उसी तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है जैसे भर्ती प्रक्रिया में होती है।
डीएसपी अमर सिंह कुर्रे की पहल
डीएसपी अमर सिंह कुर्रे ने बताया कि पहले यहां बस्तर फाइटर के जवानों को प्रशिक्षित किया गया था, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों के युवाओं के जज़्बे को देखते हुए उन्हें निशुल्क प्रशिक्षण देने का फैसला लिया गया है। करीब 150 से अधिक ग्रामीण युवा अब यहां नियमित रूप से ट्रेनिंग ले रहे हैं।