सुप्रीम कोर्ट ने ‘बुलडोजर न्याय’ पर जताई नाराज़गी, मकान तोड़ने से पहले बनाए जाएंगे देशव्यापी दिशानिर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने आज ‘बुलडोजर न्याय’ पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सवाल उठाया कि क्या सिर्फ इस वजह से किसी का मकान तोड़ा जा सकता है क्योंकि वह व्यक्ति किसी आपराधिक मामले में आरोपी या दोषी है। कोर्ट ने पूरे देश में मकान तोड़ने से पहले पालन किए जाने वाले दिशानिर्देश बनाने का प्रस्ताव भी रखा।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने अदालत से आग्रह किया कि ‘बुलडोजर न्याय’ की प्रवृत्ति को देशभर में रोका जाए।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि किसी भी अचल संपत्ति को सिर्फ इसलिए नहीं तोड़ा जा सकता क्योंकि उसका मालिक किसी आपराधिक मामले में शामिल है। उन्होंने कहा, “इमारत का विध्वंस तभी हो सकता है जब वह अवैध हो।” हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि इस मामले को अदालत के समक्ष गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।

जस्टिस गवई ने कहा, “अगर आप इस बात को स्वीकार कर रहे हैं, तो हम इस आधार पर दिशानिर्देश जारी करेंगे। कैसे किसी का घर सिर्फ इसलिए तोड़ा जा सकता है क्योंकि वह आरोपी या दोषी है?”

जस्टिस विश्वनाथन ने पूछा कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए निर्देश क्यों नहीं दिए जा सकते। “पहले नोटिस जारी करें, जवाब देने का समय दें, कानूनी उपाय खोजने का समय दें, और फिर विध्वंस करें,” उन्होंने कहा।

पीठ ने जोर देकर कहा कि वह अवैध निर्माण का समर्थन नहीं कर रही है। “हम किसी भी अवैध संरचना को बचाने की कोशिश नहीं करेंगे, चाहे वह सार्वजनिक सड़क पर हो या मंदिर, लेकिन विध्वंस के लिए दिशानिर्देश होने चाहिए,” पीठ ने कहा।