बस्तर बंद का व्यापक असर: संविधान की रक्षा के लिए जन आक्रोश

बस्तर सम्भाग मुख्यालय में बुधवार को भारत बंद का बड़ा असर देखा गया। सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक बस्तर बंद का आह्वान किया गया था, जिसमें बस्तर चेंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने भी समर्थन दिया। इस बंद को सफल बनाने के लिए सुबह से ही अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के संगठनों के सदस्य सड़कों पर उतरे और दुकानों को बंद कराते हुए नजर आए। इसके साथ ही वाहनों को भी रोका गया।

संभागीय मुख्यालय बस्तर में इस बंद के दौरान एक विशाल आक्रोश रैली भी निकाली गई। सड़क पर वाहन थम गए, और जगदलपुर से 15 किलोमीटर दूर स्थित केशलूर चौक पर जाम की स्थिति बन गई। यह चौक दो नेशनल हाईवे, NH 30 और NH 63 से जुड़ा है। NH 30 ओड़िसा, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना को जोड़ता है, जबकि NH 63 महाराष्ट्र को जोड़ता है। यहां बड़ी संख्या में बस्तर के मूल निवासी सुबह से ही एकत्रित हो गए थे। कुछ समय के लिए जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई, लेकिन बाद में केवल चारपहिया निजी वाहन, मोटरसाइकिल और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े वाहनों को जाने दिया गया। इसके बावजूद, सड़क के दोनों तरफ बसों और ट्रकों की लंबी कतार लग गई।

बस्तर बंद के मद्देनजर नगर में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। सर्व आदिवासी समाज के युवाओं ने बंद का समर्थन करते हुए कहा कि वे अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं और संविधान के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उनकी मांग है कि संविधान में संशोधन न किया जाए और सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश को वापस ले।

बस्तर बंद के दौरान यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि सभी दुकानें बंद थीं। इससे घरेलू सामान और रोजमर्रा की आवश्यक चीजें प्राप्त करना मुश्किल हो गया, जिससे लोग परेशान हुए।

बस्तर बंद के इस प्रभावशाली प्रदर्शन से साफ है कि क्षेत्र के लोग अपने अधिकारों और संविधान की सुरक्षा के लिए संगठित होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।