रायपुर, 24 मई 2025। नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान एक ऐसा भावनात्मक और आत्मीय क्षण सामने आया, जिसने पूरे माहौल को विशेष बना दिया। लंच ब्रेक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का हाथ थामते हुए मुस्कराकर कहा – “छत्तीसगढ़ की बात अभी बाकी है।” इस एक वाक्य में प्रधानमंत्री का स्नेह, विश्वास और छत्तीसगढ़ के प्रति विशेष लगाव साफ झलकता है।
इस पल के साक्षी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री एम. के. स्टालिन भी मुस्कराते हुए नज़र आए, जिससे यह क्षण और भी उत्साहजनक और प्रेरक बन गया।

छत्तीसगढ़ के विकास प्रयासों की प्रधानमंत्री द्वारा सराहना
प्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से आदिवासी अंचलों, बस्तर क्षेत्र, और औद्योगिक विकास को लेकर राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की खुले मन से प्रशंसा की। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर बस्तर’ की दिशा में उठाए गए कदमों को “प्रेरणादायक परिवर्तन” बताया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री को बताया कि बस्तर अब संघर्ष का नहीं, बल्कि संभावनाओं का क्षेत्र बन गया है। जहां पहले नक्सल हिंसा और असुरक्षा की चर्चा होती थी, अब वहां टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप और स्वरोजगार की बातें हो रही हैं।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नवा रायपुर में देश की पहली सेमीकंडक्टर यूनिट और AI डेटा सेंटर की स्थापना, तथा लिथियम ब्लॉक की सफल नीलामी जैसे कदम छत्तीसगढ़ को एक रणनीतिक और औद्योगिक राज्य में बदल रहे हैं।
प्रधानमंत्री की मुस्कान में छिपा बड़ा संदेश
यह संवाद किसी औपचारिक भाषण का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक नेता का दूसरे नेता के प्रयासों के प्रति आत्मीय सम्मान था। प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि “छत्तीसगढ़ की बात अभी बाकी है”, यह संकेत है कि छत्तीसगढ़ अब राष्ट्रीय एजेंडे में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
नीति आयोग की बैठक में देशभर के राज्यों ने अपने विकास मॉडल प्रस्तुत किए, लेकिन छत्तीसगढ़ की रणनीति, ‘3T मॉडल’, बस्तर मॉडल और अंजोर विजन को प्रधानमंत्री की विशेष रुचि और समर्थन प्राप्त हुआ।
छत्तीसगढ़: उभरता नहीं, अब निर्णायक राज्य
इस आत्मीय क्षण ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ अब केवल एक उभरता हुआ राज्य नहीं रहा, बल्कि यह भारत के समग्र विकास में निर्णायक भूमिका निभाने वाला प्रदेश बन गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की यह पहचान रचनात्मक प्रशासन, तकनीकी नवाचार और जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से और सशक्त हो रही है।
