विश्व आदिवासी दिवस पर नक्सलियों का आत्मसमर्पण: लाल आतंक को बड़ा झटका

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों को एक बड़ा झटका लगा है। जिले में चलाए जा रहे माओवादी उन्मूलन अभियान के तहत डीआरजी, बस्तर फाइटर, और सीआरपीएफ के संयुक्त प्रयासों और सरकार की पुनर्वास एवं आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर तीन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इन आत्मसमर्पित नक्सलियों में आठ लाख रुपये के इनामी नक्सली भी शामिल हैं।

बीजापुर के पुलिस अधीक्षक, डॉ. जितेंद्र कुमार यादव के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले इन नक्सलियों ने बताया कि माओवादियों की आदिवासी-विरोधी विचारधारा, उनके भेदभावपूर्ण व्यवहार, उपेक्षा, और प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने यह कदम उठाया। नक्सलियों का मानना है कि माओवादी संगठन आदिवासियों के विकास का विरोध कर रहा है, और उसकी विचारधारा खोखली साबित हो रही है। इसके साथ ही, छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास एवं आत्मसमर्पण नीति ने भी उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया।

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) के दो माओवादी भी शामिल हैं। बीजापुर जिले में पिछले छह महीनों के दौरान कुल 145 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि 326 माओवादियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। यह आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि माओवादी संगठन कमजोर पड़ रहा है और आदिवासी इलाकों में सरकार की नीतियों का असर दिखने लगा है।

छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार की ओर से पुनर्वास और रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं, जिससे वे अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकें।

इस आत्मसमर्पण से न केवल लाल आतंक को बड़ा झटका लगा है, बल्कि यह संकेत भी मिलता है कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान और सरकार की नीतियां सही दिशा में हैं।