विपक्ष ने लोकसभा चुनावों के दौरान आरोप लगाया कि यदि मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई तो संविधान खत्म कर देगी। चुनावों के बाद जब फिर से मोदी सरकार आ गयी तो लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन विपक्ष ने संविधान की प्रतियां हाथ में लेकर संसद परिसर में मार्च निकाला और सरकार को आगाह किया कि वह संविधान से कोई छेड़छाड़ नहीं करे। यहां सवाल उठता है कि क्या कोई सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर सकती है? सवाल यह भी उठता है कि क्या आज तक संविधान से किसी ने छेड़छाड़ की है? सवाल यह भी उठता है कि क्या भारत में आज तक कोई ऐसा राजनीतिज्ञ हुआ है या कोई ऐसी राजनीतिक पार्टी रही है जिसने संविधान से ऊपर अपने हितों को रखा हो। इन सब प्रश्नों का उत्तर ढूँढ़ेंगे तो जवाब मिलेगा कांग्रेस और इंदिरा गांधी। कांग्रेस ही वह पार्टी है और इंदिरा गांधी ही वह राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने अपने हितों की पूर्ति के लिए संविधान को ताक पर रख दिया था।
हम आपको याद दिला दें कि इतिहास में 25 जून का दिन भारत के लिहाज से एक महत्वपूर्ण घटना का गवाह रहा है क्योंकि 1975 में इस दिन तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने मनमाने तरीके से देश में आपातकाल थोप दिया था। हम आपको बता दें कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल रहा था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। देखा जाये तो स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद काल था। यह भी दुर्भाग्यपूर्ण था कि आजादी के महज 28 साल बाद ही देश को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कारण आपातकाल के दंश से गुजरना पड़ा था। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि काफी प्रभावित हुई थी और आज भी विश्व इतिहास में यह दर्ज है कि भारत भले लोकतंत्र की जननी है लेकिन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इस लोकतंत्र को जेल की सींखचों के पीछे डाल दिया गया था।