भाजपा को उत्तर प्रदेश में पराजय के बोध से उबरना ही होगा

उत्तर प्रदेश की जनता ने 2024 लोकसभा चुनावों में हैरान करने वाले चुनाव परिणाम दिये हैं। भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में 80 में से 80 लोकसभा सीटें जीतने का नारा दिया था किंतु भाजपा गठबंधन मात्र 37 सीटों पर ही सिमटकर रह गया। भाजपा अयोध्या वाले संसदीय क्षेत्र फैजाबाद तक से हार गई जहाँ प्रभु श्रीराम दिव्य भव्य एव नव्य राम मंदिर में प्रवेश कर चुके हैं तथा विविध प्रकार के विकास कार्य चल रहे हैं । ये हार हर किसी को आश्चर्य में डाल रही है। आज भी हर तरफ यही चर्चा हो रही है कि अरे भाजपा फैजाबाद में कैसे हार गई ? आखिर क्यों, फिर यह चर्चा लंबी खिंच जाती है और भाजपा समर्थकों व शुभचिंतकों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगती हैं कि अब होगा क्या? भाजपा का हर शुभचिंतक अपने अपने स्तर पर गहन समीक्षा कर रहा है किंतु क्या बीजेपी आलाकमान व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनमानस की चिंताओं के साथ खड़े हैं या नहीं। महिलाएं भी अयोध्या पराजय पर चर्चा कर रही हैं कि फ्री राशन, घर, शौचालय, दवाई व राम मंदिर के बाद भी भाजपा क्यों पराजित हो गई?

प्रदेश में भाजपा की पराजय के जो मुख्य बिंदु निकलकर सामने आ रहे हैं उसमें प्रत्याशियों का गलत चयन, राजग गठबंधन के नेताओं की गलत बयानबाजी, क्षत्रियों व राजपूतों की नाराजगी को हलके में ले लेना  तथा मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में वोट जिहाद का हो जाना आदि तो था ही मीडिया की मानें तो संघ व भाजपा के बीच आतंरिक टकराव भी एक कारण रहा। वर्तमान समय में जब नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्व में ऐसे ऐसे अदभुत कार्य हो रहे हैं जिनका प्रभाव हजार साल तक रहने वाला है उस समय संघ नेतृत्व ने इतनी बड़ी गलती क्यों कर दी? क्या वो सच ही मोदी जी का अहंकार तोड़ना चाहते थे या अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मार रहे थे? क्या स्वयं को मातृ संस्था कहने वालों को भी आत्मसंयम का परिचय नहीं देना चाहिए था? ये कठिन प्रश्न मीडिया और सोशल मीडिया में जंगल की आग की तरह फैल चुके हैं। इसे पूरे दावानल में आम सनातनी ठगा सा खड़ा है।

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