इंदौर ड्रेनेज घोटाला: आरोपी ऑडिटर को राज्य सिविल सेवा परीक्षा में बैठने की अनुमति

इंदौर, 21 जून: देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में 64 करोड़ रुपये के ड्रेनेज घोटाले के आरोपियों में शामिल सहायक लेखा परीक्षक (ऑडिटर) रामेश्वर परमार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सिविल सेवा परीक्षा 2024 में बैठने की मंजूरी दे दी है। हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस विनय सर्राफ ने गुरुवार को दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद परमार को यह अनुमति दी। परीक्षा 23 जून (रविवार) को आयोजित होनी है।

इंदौर नगर निगम में सहायक लेखा परीक्षक के रूप में कार्यरत रामेश्वर परमार को ड्रेनेज घोटाले में गिरफ्तारी के बाद एक स्थानीय जेल में बंद किया गया है। परमार ने राज्य सेवा परीक्षा में बैठने के लिए हाईकोर्ट में अस्थायी जमानत की याचिका दायर की थी। अदालत ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वह आरोपी को रविवार को पुलिस हिरासत में परीक्षा केंद्र तक ले जाने और वापस जेल लाने के उचित इंतजाम करे।

फर्जी बिल भुगतान का आरोप:

डीसीपी पंकज कुमार पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि परमार और इंदौर नगर निगम के अन्य ऑडिटर पर आरोप है कि उन्होंने शहर में ड्रेनेज के काम के नाम पर ठेकेदारों की ओर से पेश फर्जी बिलों की जांच नहीं की। उन्होंने बताया कि पुलिस की अब तक की छानबीन में पता चला है कि गुजरे वर्षों के दौरान शहर में ड्रेनेज लाइन बिछाने के नाम पर ठेकेदारों की 10 फर्मों ने इंदौर नगर निगम में लगभग 64 करोड़ रुपये के फर्जी बिल पेश किए, जिनमें से 47.53 करोड़ रुपये के बिलों का बिना जांच-पड़ताल के भुगतान कर दिया गया। डीसीपी ने बताया कि ड्रेनेज घोटाले में अब तक नौ ठेकेदारों और इंदौर नगर निगम के आठ कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है।

इस खबर के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि घोटाले के आरोपियों को भी न्यायालय के माध्यम से उनके अधिकार मिल सकते हैं, हालांकि न्याय प्रक्रिया का पालन करते हुए उन्हें परीक्षा में बैठने का मौका दिया गया है।