स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर-नर्स की अनुपस्थिति में महिला ने फर्श पर दिया बच्चे को जन्म, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

सूरजपुर: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के नवानगर उप-स्वास्थ्य केंद्र (एसएचसी) में डॉक्टरों और नर्सों की अनुपस्थिति के कारण एक 25 वर्षीय महिला को फर्श पर बच्चे को जन्म देना पड़ा। इस घटना पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे बहुत ही दुखद स्थिति करार दिया है और स्वास्थ्य विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत ने सोमवार को एक समाचार रिपोर्ट पर संज्ञान लिया जिसमें कहा गया था कि घटना 8 जून को एसएचसी नवानगर में हुई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रसव पीड़ा से गुजर रही महिला मितानिन (सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के साथ एसएचसी पहुंची थी, लेकिन वहां कोई डॉक्टर या नर्स मौजूद नहीं थी। महिला को स्वास्थ्य केंद्र के फर्श पर ही बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

महिला के परिवार के सदस्यों ने चिकित्सा कर्मचारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने प्रसव में मदद की। प्रसवोत्तर देखभाल भी गांव की पारंपरिक दाई द्वारा की गई क्योंकि वहां केवल एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही उपलब्ध था। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना हुई है।

अदालत ने इसे बेहद दुखद स्थिति बताते हुए कहा, “राज्य सरकार जब राज्य के दूरस्थ हिस्सों में रहने वाले आम जनता को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारी मात्रा में धनराशि खर्च कर रही है, और स्वास्थ्य केंद्रों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी स्वयं अनुपस्थित और लापता हैं जब उनकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है, राज्य को कुछ सख्त कदम उठाने चाहिए।”

अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने उच्च न्यायालय में बताया कि संबंधित चिकित्सा अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और जांच का आदेश दिया गया है। जहां तक नर्स का संबंध है, जो ड्यूटी पर थी, बताया गया है कि उसका सवाशत ठीक नहीं है, हालांकि कोई सहायक दस्तावेज दायर नहीं किए गए हैं।

स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण विभाग के सचिव को उक्त घटना के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने और वायरल वीडियो (घटना का) को तुरंत प्रसारित होने से रोकने का निर्देश दिया। सचिव को इस अदालत को यह भी बताना होगा कि उक्त एसएचसी में किसी अन्य चिकित्सा अधिकारी की तैनाती के संबंध में उन्होंने कौन से कदम उठाए हैं।