छत्तीसगढ़ में अब पंचायत चुनाव लडऩे के लिए पांचवीं और आठवीं की बाध्यता समाप्त होगी। सिर्फ साक्षर होने पर भी उम्मीदवार पंचायत चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर सकेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 में संशोधन के इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर नि:शक्तजन भी हो सकेंगे नामांकित। इसके अलावा प्रदेश में दो नये विश्वविद्यालय प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया, इनमें महात्मा गांधी के नाम पर उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय और रायगढ़ में स्व. नंद कुमार पटेल के नाम पर नये विश्वविद्यालय प्रारंभ करने के प्रस्ताव का अनुमोदन भी मंत्रीमंडल की बैठक में किया गया।
रायपुर (छत्तीसगढ़)। मंत्रिपरिषद ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 में संशोधन के प्रस्ताव का किया अनुमोदन शनिवार को हुई बैठक में कर दिया है। यह प्रस्ताव अब विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। आपको बता दें कि वर्तमान में त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में नि:शक्त व्यक्ति के निर्वाचित नहीं होने की स्थिति में संबंधित पंचायतों में उनके नामांकन का प्रावधान नहीं है। साथ ही पंचायतों में पदाधिकारियों के निर्वाचन में शैक्षणिक योग्यता के संबंध में पंच पद के लिए पांचवीं और पंच के ऊपर के पदधारी के लिए आठवीं उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इन प्रावधानों को संशोधन किए जाने की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए अब जिन पंचायतों में निर्वाचन के पश्चात् नि:शक्त व्यक्ति का प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में वहां नि:शक्त व्यक्ति को नामांकित करने तथा त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में केवल साक्षर होने पर ही, निर्वाचन हेतु पात्रता के संबंध में छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धाराओं में संशोधन के प्रस्ताव को मंत्री परिषद के बैठक में अनुमोदित कर दिया गया है। बैठक में इसके साथ ही प्रदेश में दो विश्वद्यालयों का स्थापना के साथ विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किए जाने वाले अन्य विधेयकों के संशोधन प्रस्तावों का भी अनुमोदन किया गया।