ट्विन सिटी के हाइ प्रोफाइल अभिषेक मिश्रा हत्याकांड की आरोपी किम्सी कंबोज जैन ने अदालत को बताया है कि अभिषेक के लापता होने की जानकारी उसे मिली थी, लेकिन उसने इस संबंध में किसी प्रकार की जानकारी हासिल करने का प्रयास नहीं किया था। उसने यह भी बताया कि पुलिस उसे फ्लाइट से दिल्ली से नागपुर होते हुए भिलाई लेकर आई थी। उसने स्वीकार किया कि गुमशुदगी से पहले अभिषेक से उसकी बात हुई थी। मामले में अदालत ने अधिवक्ताओं की अंतिम बहस की तिथि 29 व 30 नवंबर निर्धारित की है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। शंकरा एज्युकेशन सोसायटी के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा की हत्या के मामले में आरोपी किम्सी कंबोज जैन का शुक्रवार को अदालत के सामने फिर से बयान दर्ज किया गया। बचाव पक्ष की अधिवक्ता उमाभारती साहू ने किम्सी द्वारा अदालत में पूर्व दिए गए बयान में कुछ साक्ष्य छूट जाने का हवाला देते हुए फिर बयान कराए जाने की गुजारिश अदालत से की थी। जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान किम्सी ने बताया कि अभिषेक मिश्रा से उसकी बातचीत रायपुर रेंजर स्पांसरशिप के संबंध में होती थी। उसने कहा कि 12 अक्टूबर 2015 को उसकी आपरेशन से डिलेवरी हुई थी। इसके लिए नेहरु नगर स्थित नर्सिंग होम में 10 अक्टूबर 2015 को भर्ती हुई थी। जहां से वह 15 अक्टूबर को वह डिस्चार्ज हुई थी। डिलेवरी के बाद डाक्टर ने उसे बेड रेस्ट करने की सलाह दी थी। किम्सी जैन द्वारा अदालत में मेडिकल के दस्तावेज प्रस्तुत किए। साथ ही रायपुर रेंजर की स्पांसरशिप से संबधित ई-मेल आदि की प्रतिलिप भी उसने अदालत में दी। अदालत में उसने स्वीकारा कि अभिषेक से उसकी 6, 7 और 9 नवंबर 2015 को बात हुई थी। 9 नवंबर को अभिषेक ने शाम 5 से 5.30 बजे के बीच मोबाइल पर स्पांसर कंपनियों के संबंध में डिटेल मांगी थी। जिसके लगभग 15 मिनिट के बाद फिर से अभिषेक का इसी संबंध में काल आया था।
शासकीय अधिवक्ता सुरेश शर्मा द्वारा किए गए प्रतिपरीक्षण में किम्सी ने कहा कि उसे अभिषेक के लापता होने की जानकारी अखबार में प्रकाशित सामाचार से हुई थी, लेकिन उसने इस संबंध में अभिषेक के परिवार या उसके परिचतों से गुमशुदगी के संबंध में जानकारी हासिल करने का प्रयास नहीं किया था। उसने इस बात को गलत बताया कि 9 नवंबर को अभिषेक उसके चौहान टाउन स्थित घर आया था और उसके मैसेज करने उसका पति विकास और चाचा वहां आए थे। किम्सी ने अदालत को यह भी बताया कि उसके पिता प्रीतपाल सिंह की परमजीत कौर दूसरी पत्नी है। वह अपने पिता की पहली पत्नी स्व. विनिशरण की औलाद है। उसने स्वीकार किया कि परमजीत कौर उसकी शुभ चिंतक है, लेकिन उसका उनके घर आना जाना नहीं है। उसने इस बात से इंकार किया कि परमजीत कौर के नाम से जारी सिम का उपयोग उसका चाचा अजीत सिंह करता है। मामले में बचाव पक्ष व शासकीय अधिवक्ता के बीच 29 व 30 नवंबर को अंतिम बहस होगी।