नई दिल्ली । भारत-चीन के बीच पिछले कई वर्षों से डोकलाम को लेकर चला आ रहा विवाद एक बार फिर चचा में है। दसअसल भूटान के प्रधानमंत्री ने एक बयान देकर भारत को सकते में डाल दिया है। भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने कहा कि डोकलाम मुद्दे पर समाधान ढूंढने पर चीन और भूटान दोनों का बराबर हक है। गौरतलब है कि उन्होंने अपने बयान में डोकलाम को भूटान का क्षेत्र बता दिया है। इससे मामले ने और तूल पकड लिया है। अब देखना यह है कि भूटान की इस प्रतिक्रिया पर भारत क्या रुख अपनाएगा। भूटान के पीएम ने एक बात यह भी कही है कि समस्या हल करने की जिम्मेदारी केवल भूटान की नहीं है, बल्कि भारत, चीन और भूटान तीनों की है। भूटान के प्रधानमंत्री ने एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में यह बात कही है। भूटान का कहना है कि वो भी डोकलाम के ट्राइजंक्शन पर चर्चा के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि चीन और भारत भी इसके लिए तैयार रहें। प्रधानमंत्री शेरिंग ने चीन को लेकर एक और चिंताजनक बयान में इस बात को खारिज कर दिया है कि चीन ने उसकी सीमा में 10 गांव बनाए हैं।
गौरतलब है कि 2020 में यहां कि कुछ सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई थीं, जिनमें चीन ने भूटान की सीमा के दो किलोमीटर के अंदर तक गांव बना लेने का दावा किया था। हालांकि उस वक्त भूटान सरकार चुप रही थी। लेकिन अब भूटान के प्रधानमंत्री ने इस दावे को यह कह कर सिरे से ही खारिज कर दिया है कि तीनों देश एक समान हैं, कोई भी देश बड़ा या छोटा नहीं है। दरअसल डोकलाम भूटान के क्षेत्र में आता है जो कि भारत को जोड़ने वाले सिलिगुड़ी कॉरिडोर के पास है। यही वजह है कि भारत चीन को डोकलाम से दूर रखना चाहता है ताकि सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर किसी तरह का खतरा न मंडरा सके। साल 2017 में चीन ने डोकलाम में सड़क बनाने की कोशिश की थी लेकिन भारत ने चीन के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच विवाद छिड़ गया था। यही वजह है कि भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा कि हम विवाद को सुलझाने को तैयार हैं। यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो थिम्पू भारत, चीन और भूटान के बीच डोकलाम में त्रि-जंक्शन की स्थिति पर बातचीत भी हो सकती है।