20 लाख रु. में मकान का सौदा कर सिर्फ 50 हजार रु. देकर मकान हड़पने के आरोपी को लगभग 2 माह बाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी एसटीएफ की 16 वीं बटालियन में जवान के पद पर कार्यरत है। वर्तमान में उसकी तैनाती नारायणपुर में थी। आरोपी को न्यायायिक अभिरक्षा के तहत जेल भेज दिया गया है। इस मामले की जवान की आरोपी पत्नी के खिलाफ भी धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज है। आरोपी महिला को अदालत से अग्रिम जमानत मिल चुकी है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला शहर के नयापारा क्षेत्र का है। नयापारा निवासी दशरथ साहू (58 वर्ष) ने अपने मकान का सौदा एसटीएफ बघेरा के जवान गोवर्धन मीना (45 वर्ष) तथा उसकी पत्नी भूरादेवी मीना (37 वर्ष) के साथ किया था। नयापारा में 600 वर्गफुट जमान पर बने दो मंजिला मकान को सौदा 20 लाख रु. में किया गया था। मकान का सौदा पक्का करते हुए मीना दंपत्ति द्वारा दशरथ को 50 हजार रु. बतौर बयाना प्रदान किया था। शेष रकम एलआईसी फायनेंस कराकर देने का आश्वासन दिया गया था। इस दौरान सौदा की रकम दशरथ साहू से ही अपने खाता में जमा कराकर वापस लौटाई और सौदे के अनुसार पूरा भुगतान होने का हवाला देकर दंपत्ति द्वारा उसे धमकाया जाने लगा। मामले की शिकायत के आधार पर मीना दंपत्ति के खिलाफ दफा 420 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था। मामले के विवेचना अधिकारी देवा भारती ने फोर्थ नेशन (4TH NATION) को बताया कि इस मामले की आरोपी भूराबाई को न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल गई। वहीं आरोपी जवान गोवर्धन को नारायणपुर एसटीएफ से गिरफ्तार किया गया। आरोपी को मंगलवार न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। जहां से उसे न्यायायिक अभिरक्षा के तहत जेल भेज दिया गया है।
एलआईसी फायनेंस की आड़ में किया फर्जीवाड़ा
मीना दंपत्ति ने एलआईसी से फायनेंस में समय लगने का हवाला देकर 6 नवंबर 2017 को मकान की रजिस्ट्री अपने नाम से करवा ली। इस दौरान तीन लाख रु. नगद दिए जाने के करार पर हस्ताक्षर करवा लिए गए थे। तीन लाख रु. की नगदी के संबंध में पूछे जाने पर मीना दंपत्ति ने सरकार द्वारा नगदी लेन देन पर रोक लगाए जाने का हवाला देकर बाद में अदा करने का आश्वासन दिया। साथ ही बकाया राशि 17 लाख रु. एलआईसी से फायनेंस होते ही भुगतान करने का विश्वास दिलाया। इस झांसे में दशरथ आ गए और मीना दंपत्ति के नाम पर रजिस्ट्री करवाकर मकान का कब्जा भी उन्हें सौंप दिया। बकाया रकम के संबंध में पूछे जाने पर मीना दंपत्ति ने उन्हें बताया कि एलआईसी कंपनी 20 लाख रु. का पूरा लेनदेन दिखाए जाने के बाद ही फायनेंस करेगी। मीना दंपत्ति ने कहा कि इसके लिए उनके खाते में बकाया रकम दशरथ साहू को जमा करनी होगी, जिसे वापस ट्रांसफर कर इस लेनदेन को दिखाया जाएगा। इस झांसे में भी दशरथ साहू आ गए और स्वयं तथा अपने परिजनों के खाते के माध्यम से रकम को मीना दंपत्ति के खाता में जमा करा दिया गया। इस रकम को मीना दंरत्ति ने उनके खाता में वापस जमा भी करवाया। जिसके बाद 5 नवंबर 2018 को 20 लाख रु. का लेनदेन पूरा हो जाने संबंधी दस्तावेज न्यायालय में तैयार करवा लिए गए। इस दौरान भी एलआईसी से फायनेंस प्राप्त कने की प्रक्रिया का हवाला दिया गया। समय बीतता रहा पर बकाया रकम नहीं मिली। जिस पर दशरथ साहू द्वारा मीना दंपत्ति पर दबाव बनाया गया, तो उन्होंने सौदे के अनुसार पूरा भुगतान हो जाने का हवाला देते हुए बकाया रकम देने से इंकार कर दिया।