मकान खरीदने के नाम पर टिंबर व्यापारी को बुला कर उसका अपहरण करने के सभी 4 आरोपियों को न्यायालय द्वारा दो-दो बार उम्रकैद से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। आरोपियों ने अपहृत को रिहा करने के लिए उसके परिवार से 10 लाख रुपए की फिरौती की रकम भी वसूल कर ली थी। सभी आरोपी नागपुर के निवासी है। अपहरण कर फिरौती वसूले जाने के इस मामले में न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी की अदालत में विचारण किया गया था। अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। अपहरण की यह वारदात 13 जुलाई 2015 को शहर के ग्रीन चौक पर हुई थी। अपहरणकर्ताओं ने कांदबरी नगर निवासी टिंबर व्यापारी अमित गोयल को उनके बोरसी स्थित मकान को खरीदने का झांसा देकर बुलाया था। कांदबरी नगर निवासी अमित तथा आशीष गोयल बंधुओं द्वारा उनके बोरसी स्थित मकान को बेचने का विज्ञापन प्रकाशित कराया था। इस विज्ञापन के आधार पर अपहरणकर्ताओं से स्वयं को रायपुर निवासी बताकर मकान देखने के लिए दुर्ग आने की बात मोबाइल पर कही थी। उन्होंने गोयल बंधुओं को स्टेशन के पास होने की जानकारी देते हुए बुलाया था। जिस पर अमित गोयल अपनी रिट्स कार से ग्रीन चौक लगभग डेढ़ बजे पहुंचा था। आरोपी स्विफ्ट कार में सवार थे। उन्होंने अमित को जबरिया अपनी कार में बैठा लिया और रिट्स कार को केंबिन होटल के सामने लावारिस छोड़ दिया था। दोपहर साढ़े तीन बजे अमित के भाई आशीष को पोन आया कि अमित का अपहरण कर लिया गया है, यदि उसको सुरक्षित वापस पाना चाहते हो तो एक-डेढ़ घंटे के अंदर 10 लाख रु. की रकम उन्हें दी जाए। इसकीघटना की जानकारी आशीष ने मोहन नगर थाना में दर्ज कराए जाने के साथ ही अपहरणकर्ताओं की मांग भी पूरी कर दी थी। जिसके बाद अपहृताओं ने अमित से उसकी सोने की अंगूठी व बे्रसलेट छीन कर सुरक्षित छोड़ दिया था।
कुम्हारी पुलिस के हत्थे चढ़े थे आरोपी
अपहरण की इस वारदात में शामिल सभी चारो आरोपी घटना के लगभग दो माह बाद लूट के एक अन्य मामले में कुम्हारी पुलिस के हत्थे सितंबर 2015 को हत्थे चढ़े थे। पुलिस पूछताछ में उन्होंने अमित गोयल के अपहरण में उनकीं भूमिका होने का खुलासा किया था। इस मामले में मोहन नगर पुलिस ने नागपुर निवासी सुमन सुनील ढोमरे (22 वर्ष), रविदादा राव बंसोड (25 वर्ष), रविन्द्र कृष्णा देवांगन (28 वर्ष), प्रवीण चंद्रशेखर साढे (28 वर्ष) के खिलाफ दफा अपराधिक षडयंत्र रचने, अपहरण व लूट का अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था।
न्यायालय ने माना विरल से विरलतम मामला
अपहरण कर फिरौती वसूलने के इस मामले में विचारण पश्चात न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने इस मामले को विरल से विरलतम प्रकृति का माना। सभी आरोपियों को दफा 364 (क) तथा 120 (बी) के तहत दो बार आजीवन कारावास तथा दफा 392 के तहत 7-7 वर्ष के कारावास से दंडि़त करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा आरोपियों को कुल 14 हजार रु. के अर्थदंड से भई दंडि़त किया गया है। अभियुक्तों की सभी सजाए एक साथ चलेगीं।