नाबालिग को डरा धमका कर लगभग 4 साल तक दैहिक शोषण करने वाले आरोपी मौसा को न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास से दंडि़त किया गया है। लोकलाज के भय से चुप रही पीडि़ता ने आरोपी द्वारा पीडि़ता की मामी से अश्लील छेडख़ानी किए जाने के बाद मौसा द्वारा उसके साथ की गई गंदी हरकत की जानकारी परिजनों को दी थी। इस मामले में पॉक्सों कोर्ट की विशेष न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी द्वारा आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 10 हजार रु. के अर्थदंड से भी दंडि़त करने का फैसला सुनाया है। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अति. लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। रिश्ते को कलंकित करने वाला यह मामला अंजोरी पुलिस चौकी का है। पीडि़त वर्ष 2013 में पहली बार मौसा ने अनाचार किया था। नाबालिग अपने नाना के साथ रहती थी। उसकी मां आग से जल जाने के कारण अस्पताल में दाखिल थी। घटना की रात पीडित की मां को देखने परिवार के सभी सदस्य अस्पताल गए थे। इसी दौरान आरोपी मौसा मनोज चंदने (33 वर्ष) घर पहुंचा और घर में अकेली नाबालिग के साथ अनाचार किया और धमकाया। धमकी से डरी नाबालिग ने इस घटना की जानकारी किसी को नहीं दी। जिसके बाद वर्ष 2017 में नाबालिग परिवार के साथ मडई देखने गई थी। रात में वह मौसा के घर में रुकी जहां फिर से मौसा ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। इस बार भी नाबालिग लोकलाज के भय से चुप रहीं। इस घटना के बाद मौसा ने नाबालिग की मामी के साथ भी छेडखानी कर दी थी, जिसकी शिकायत मामी ने मामा से की थी। इस दरम्यान नाबालिग ने भी मौसा मनोज चंदने द्वारा उसके साथ की गई हरकतों की जानकारी परिजनों को दी। मामले की शिकायत 7 जून 2017 को अंजोरा पुलिस की गई। जिसके आधार पर पुलिस ने आरोपी मौसा के खिलाफ दफा 376, 506 तथा पाक्सो एक्ट की धारा 4, 6 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।
प्रकरण पर विचारण पश्चात विशेष न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी द्वारा नाबालिग का दैहिक शोषण किए जाने का दोषी माना। अभियुक्त को दफा 376 (2) के तहत जीवन भर कैद में रखे जाने की सजा सुनाई है। साथ ही 10 हजार रु. के अर्थदंड से दडित किया है।