निगम सभापति विजय जैन की याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज, कहा एमआईसी सदस्य बनाना अनिवार्य नहीं

चरौदा भिलाई निगम के सभापति विजय जैन ने महापौर परिषद गठन की विधि मान्यता से संबंधित याचिका को उच्च न्यायालय बिलासपुर ने खारिज कर दिया। उन्होंने निगम सभापति को महापौर परिषद के सदस्य के रूप में शामिल नहीं करने पर महापौर चंद्रकांता मांडले और निगम आयुक्त के खिलाफ याचिका दायर कर महापौर मांडले के निर्णय को उच्च न्यायालय बिलासपुर में चुनौती दी थी।

दुर्ग (छत्तीसगढ़) । उच्च न्यायालय चरौदा भिलाई निगम के सभापति विजय जैन की याचिका पर विचार के बाद खारिज कर दिया है। विजय जैन ने सभापति को महापौर परिषद के सदस्य के रूप में शामिल नहीं किए जाने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था  कि नगर निगम अधिनियम के मुताबिक सभापति को भी महापौर परिषद के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। याचिका में आयुक्त और महापौर को पार्टी बनाया गया था।
महापौर चंद्रकांता मांडले द्वारा गठित महापौर परिषद को याचिका में अवैध बताया गया था। साथ ही उनके द्वारा किए गए सभी निर्णय को न्याय संगत नहीं होने की चुनौती विजय जैन ने याचिका में दी थी। उन्होंने न्यायालय से मांग की थी कि सभापति को भी महापौर परिषद के सदस्य के रूप में शामिल किया जाए। न्यायालय ने दोनों पक्षों के दलील सुनने के बाद नगरीय प्रशासन से भी निगम अधिनियम के संबंध में जवाब तलब किया था। जवाब में नगरीय प्रशासन विभाग के संचालक ने निगम अधिनियम का हवाला देते हुए याचिका को तर्क संगत नहीं होना बताया। जिसके बाद उच्च न्यायालय ने सभापति को एमआइसी सदस्य के रूप में शामिल किए जाने की मांग को अनुचित बताते हुए याचिका खारिज कर दी।