नई दिल्ली। देश के पहले मतदाता श्याम सरण नेगी का 106 वर्ष की आयु में शनिवार तड़के निधन हो गया। उनकी पार्थिव काया भी दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गई। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, श्याम सरन नेगी के शोक संतप्त परिवार से मिलने और व्यक्तिगत रूप से अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उनके पैतृक गांव में कल्पा, किन्नौर के लिए रवाना हुए है। श्याम सरण नेगी ने तीन दिन पहले बुधवार को कल्पा में अपने घर से पहली बार बैलेट पेपर से 14वीं विधानसभा के लिए मतदान किया था। वोट डालने के बाद श्याम सरण ने कहा था कि मतदान लोकतंत्र का महापर्व होता है। हम सभी को मताधिकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। पहले नेगी ने कहा था कि वह मतदान केंद्र में जाकर मतदान करेंगे, लेकिन स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते घर से ही वोट डाला। 34वीं बार मतदान करने वाले नेगी ने पहली बार बुधवार को डाक मतपत्र के माध्यम से वोट डाला था।
श्याम शरण नेगी के अनुसार देश में फरवरी 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ, लेकिन किन्नौर में भारी हिमपात के चलते पांच महीने पहले सितंबर 1951 में ही चुनाव हो गए। आजाद भारत के पहले चुनाव के समय मैं किन्नौर के मूरंग स्कूल में बतौर अध्यापक कार्यरत था। चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी थी। वोट देने के लिए भारी उत्साह था और ड्यूटी शौंगठोंग से मूरंग तक थी, जबकि मेरा वोट कल्पा में था। इसलिए, सुबह जल्दी वोट देकर ड्यूटी पर जाने की इजाजत मांगी और मतदान स्थल पर पहुंच गए।
6:15 बजे मतदान ड्यूटी पर पोलिंग पार्टी पहुंची। पोलिंग पार्टी से जल्दी मतदान करवाने का निवेदन किया। इस पर पोलिंग पार्टी ने रजिस्टर खोलकर उन्हें पर्ची दी। मतदान करते समय उनका नाम देश के पहले मतदाता के तौर पर दर्ज हुआ। वोट डालने के बाद अपनी ड्यूटी पर चले गए थे। पहले के दौर में 7 बजे से वोट डालने की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी। पुराने जमाने में चुनाव की सूचना आकाशवाणी के माध्यम से रेडियो से ही मिलती थी। उस जमाने में मीडिया इतना सक्रिय नहीं था।
श्याम शरण नेगी 10 साल की उम्र में स्कूल गए और पांचवीं तक की पढ़ाई कल्पा में की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए रामपुर गए। रामपुर जाने के लिए पैदल तीन दिन लगते थे। नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई रामपुर से की। उम्र ज्यादा होने से 10वीं कक्षा में प्रवेश नहीं मिला। 1940 से 1946 तक वन विभाग में वन गार्ड की नौकरी की। उसके बाद शिक्षा विभाग में चले गए और कल्पा लोअर मिडल स्कूल में अध्यापक बने।