नई दिल्ली। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का दूसरे दिन का सर्वे का काम पूरा हो गया है। ऐसी खबर आ रही है कि अंदर मलबा ज्यादा होने के कारण सर्वे शत-प्रतिशत पूरा नहीं हो सका। इसलिए, अब कल भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी। थोड़ी देर पहले ही अंदर करीब 10 सफाईकर्मी गए हैं। 52 लोगों की टीम ने सुबह 8 बजे से 11:40 बजे तक सर्वे किया। आज का सर्वे पूरा होने के बाद वीडियोग्राफी की चिप कोर्ट कमिश्नर को सौंप दी गई है।
ज्ञानवापी के नक्काशीदार गुंबद की ड्रोन से वीडियोग्राफी हुई। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। दूसरे दिन छत, चार कमरों, बाहर की दीवारों, बरामदे, तालाब के आसपास की वीडियोग्राफी-सर्वे हुआ। उधर, मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस फोर्स अलर्ट रही। गलियों में मार्च कर शांति की अपील की गई।
बढ़ाई गई सुरक्षा
पुलिस कमिश्नर ए.सतीश गणेश ने कहा कि आज सुरक्षा थोड़ी और बढ़ा दी गई थी। सर्वे के पहले दिन परिसर के बाहर 10 लेयर की सिक्योरिटी थी, जिसे आज 12 लेयर का कर दिया गया है। इन बातों का विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि दर्शन-पूजन करने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा न हो। कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को पहले दिन 50% एरिया में वीडियोग्राफी और सर्वे हुआ।
सुरक्षा और सर्वे को लेकर 500 मीटर के दायरे में पब्लिक की एंट्री बैन रही। चारों तरफ से आने वाले रास्तों पर पुलिस और पीएसी का पहरा रहा। बैरिकेडिंग करके रास्ते बंद कर दिए गए। गोदौलिया से गेट नंबर-4 यानी ज्ञानवापी तक पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने पैदल मार्च किया। शांति की अपील की। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने वालों के लिए गेट नंबर एक खोला गया था। ज्ञानवापी के पास वाले गेट से मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा था। एक किलोमीटर के दायरे में करीब 1500 पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहे। 500 मीटर के दायरे में छतों पर सुरक्षा में जवान लगे हैं। आसपास की दुकानों को सर्वे होने तक बंद रखा गया।
यह है हिन्दू पक्ष का दावा
ज्ञानवापी परिसर मामले में हिंदू पक्ष ने शनिवार को कहा कि उन्होंने जो भी दावे किए हैं, वे सभी सच होंगे। इस मस्जिद के तहखानों में हमारी सोच से भी हजार गुना ज्यादा रहस्य छिपे हैं। 17 मई को वाराणसी के सीनियर सिविल डिवीजन कोर्ट में रिपोर्ट सबमिट करने के बाद असलियत दुनिया के सामने आएगी। हिंदू पक्ष का दावा है कि नंदी महाराज के सामने जो तहखाना है, उसी में अंदर मस्जिद के बीचों-बीच आज भी शिवलिंग दबा हुआ है। पन्ना पत्थर से बने इस विशालकाय शिवलिंग का रंग हरा है। वहीं अरघा भी काफी बड़ा है।
मस्जिद के तहखाने में शनिवार को मंदिर शिखर के खूब सारे अवशेष देखे गए हैं। वहीं, मोतीचंद लिखित काशी का इतिहास किताब में बताया गया था कि मंडपम में छोटे-छोटे अनगिनत मंदिर बने हुए थे। इन्हें औरंगजेब ने तोड़ दिया था। यह भी कहा जाता है कि आदि विश्वेश्वर मंदिर के महंत औरंगजेब के हमले के डर से शिवलिंग लेकर ज्ञानवापी कूप में कूद पड़े थे।
वादी पक्ष और विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जीतेंद्र सिंह विसेन ने अपने पहले के बयानों में माना है कि यह घटना मिथ्या है। वह शिवलिंग इतना भारी था कि कोई अकेला व्यक्ति उसे उठाकर कूप में कूद ही नहीं सकता। अगर तहखाने के भीतर जाएं, तो शिवलिंग मिलेगा। वहीं, यहां की दीवारों पर अभी भी संस्कृत में खुदे अभिलेख बचे हुए हैं। उन्हें पढ़कर काफी कुछ समझा जा सकता है। जीतेंद्र सिंह विसेन ने बताया कि हमने जितना सोचा था, सर्वे के बाद मालूम चला कि यह उससे हजार गुना ज्यादा है। दूसरे दिन के सर्वे के बाद अभी बहुत से रहस्यों के बारे में हमें जानकारी होने वाली है।
मोती चंद्र की किताब ‘काशी का इतिहास’ के अनुसार, विश्वेश्वर मंदिर का आकार 125 फीट ऊंचा था। इसमें 5 मंडप थे। पूरब की ओर स्थित 5वें मंडप की माप 135 फीट लंबी और 35 फीट चौड़ी थी। इसे रंग मंडप भी कहा जाता है। यहां पर धर्म संदेश और उपदेश दिए जाते थे। मंदिर का चबूतरा 7 फीट ऊंचा था, जिसे आज भी देखा जा सकता है। अब यह मस्जिद का हिस्सा है। मंदिर चौकोर था। इसका हर साइड 124 फीट लंबा था।
मंदिर के पूरब और पश्चिम में दंडपाणि और द्वारपाल के मंदिर थे। वहीं पश्चिम में शृंगार गौरी का मंदिर है। चारों कोनों पर 12-12 फीट के चार उप-मंदिर थे। नंदी महाराज और ज्ञानवापी कूप मंदिर के बाहर हैं। मंदिर और मंडपों के शिखर की ऊंचाई 64 और 48 फीट थी। वहीं, प्रदक्षिणा पथ और मंडपम में कई छोटे मंदिर बने हुए थे।