नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ राज्य कांग्रेस का संकट और गहरा गया है। मामले का हल तलाशने के लिए यहां के कांग्रेस विधायकों को देश की राजधानी दिल्ली तलब किया गया हैं। अधिकांश विधायकों की रवानगी आज रात से ही प्रारंभ हो गई है। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कल सवेरे दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
बता दें कि राज्य के सीएम भूपेश बघेल व उनके ही मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान की चर्चा पिछले कुछ से चल रही है। जिसे भाजपा पूरी हवा देने की कोशिश कर रही है। इन्हीं चर्चाओं के बीच सीएम बघेल एक बार फिर शुक्रवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। इस हफ्ते राहुल के साथ यह उनकी दूसरी बैठक है। बघेल और सिंहदेव, दोनों ही इस सप्ताह राहुल गांधी से भेंट की थी। बघेल ने कहा था कि वे पार्टी के फैसले का पालन करेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि छत्तीसढ़ में नेतृत्व को लेकर कोई निर्णायक फैसला हो सकता है।
कांग्रेस के छत्तीसगढ़ के प्रभारी पीएल पूनिया ने कल की मीटिंग के बाद कहा था कि भूपेश बघेल ने इस बात पर सहमति जताई है कि जो भी फैसला हाईकमान लेगा, वे स्वीकार करेंगे। पूनिया ने कहा था कि बघेल और सिंहदेव दोनों ने ही टॉप लीडरशिप के फैसले को लेकर हाईकमान के फैसले पर सहमति व्यक्त की है। इस बैठक के बाद से सिंहदेव छत्तीसगढ़ वापस नहीं लौटे हैं। कल रायपुर लौटने पर पत्रकारों के सवालों पर भूपेश बघेल ने भी कहा था कि नेतृत्व के मुद्दे पर हाईकमान जो भी फैसला लेगा, हम स्वीकार करेंगे।
सीएम के तौर पर भूपेश बघेल की सरकार को जून में ढाई साल हो गए है। जिसके बाद सीएम पद के लिए ढाई-ढाई साल के फार्मूले को लेकर इसलिए सिंहदेव और उनके समर्थक पार्टी पर मुख्यमंत्री बदलने का दबाव बना रहे हैं। सिंहदेव के समर्थकों का कहना है कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री को लेकर सहमति बनी थी और ऐसे में अब सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। सिंहदेव का दावा है कि उनसे वादा किया गया था कि बघेल के आधे कार्यकाल के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। वहीं, सीएम बघेल के करीबी सूत्रों का कहना है कि ढाई-ढाई साल का मुख्यमंत्री बनाने जैसा कोई फॉर्मूला नहीं है। उन्होंने कहा कि इस समय सरकार को अस्थिर करना विनाशकारी हो सकता है।