विकास के नाम पर विनाश : पीडब्ल्यूडी की कारगुजारी बन रहीं नागरिकों के लिए घातक

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। शहर के प्रति निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते नागरिक हलाकान है। विकास के नाम पर शहर को विनाश के कगार पर धकेला जा रहा है। अमृत मिशन के बाद जीई रोड़ का चौड़ीकरण नागरिकों के लिए सिरदर्द बन गया है। इस काम में लोकनिर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा बरती जा रही लेटलतीफी से शहर की आवागमन व्यवस्था बेतरतीब हो गई है। वहीं जल्द ही आने वाले बरसात के मौसम में यह लेटलतीफी धन व जनहानि का सबब बन सकती है।
बता दें कि आवश्यकता नहीं होने के बावजूद शहर से गुजरने वाले प्रमुख मार्ग जीई रोड़ के चौड़ीकरण का काम पीडब्ल्यूडी के माध्यम से कराया जा रहा है। चौड़ीकरण के नाम पर पिछले 6 माह में महज सड़क के दोनों और गड्ढे ही खोदे गए हैं। चौड़ीकरण के नाम पर बरती जा रही लापरवाही से शहर की आवागमन व्यवस्था ध्वस्त हो गई हैं। सड़क को बेतरतीब तरीके से खोद कर मिट्टी का फैलाव कर दिया गया है। जिससे वाहन चालक आए दिन दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।
बरसात बढाएगी मुसीबतें
चौड़ीकरण के लिए शंकर नाला को बांधकर जीई रोड के दोनों किनारों को खोद दिया गया है। काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। जिससे बारिश से पहले काम पूरा होना संभव नहीं है। इस स्थिति के चलते बारिश का पानी फिल्टर प्लांट सहित आसपास के कई वार्डों में भरने की संभावना नजर आने लगी है। जल प्लावन के कारण संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना के साथ साथ जनहानि से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इस स्थिति के चलते कोरोना की मार झेल रहे नागरिक और भी दहशतजदा है।
वहीं दूसरी ओर इस लेटलतीफी पर शहर के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की सक्रियता बयान बाजी तक ही सीमित नजर आ रही है। दिलचस्प यह है कि दुर्ग जिला राज्य के मुखिया भूपेश बघेल और लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू का गृह जिला है। इसके बावजूद लोक निर्माण विभाग की बेपरवाही कई सवालों को जन्म देने लगी है।
यह है योजना
नेहरू नगर चौक से मिनीमाता चौक तक जीई मार्ग को करीब 8 किलोमीटर तक चौड़ीकरण व सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने 68 करोड़ 16 लाख की मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अक्टूबर में काम के लिए भूमिपूजन किया था। इसके बाद दिसंबर में चौड़ीकरण का काम शुरू किया गया है। इसके लिए मालवीय नगर चौक के पास सड़क के दोनों किनारों पर गड्ढे खोदे गए हैं। यहीं से शंकर नाला जीई रोड को क्रास कर करीब 50 मीटर पैरलल चलता है। जीई रोड के निर्माण के लिए नाला को आजाद हास्टल से पहले बांधा गया है। वहीं जीई रोड के पास नाले को तोड़कर नया बनाया जा रहा है। छह माह में केवल खुदाई का काम हुआ है। निर्माण ऐजेंसी द्वारा गिनती के मजदूरों को लगाकर काम कराए जाने की खानापूर्ति की जा रही है।
निगम कमिश्नर ने लिखा पीडब्ल्यूडी को पत्र
जीई रोड के चौड़ीकरण के लिए डायवर्ट किए गए शंकर नाला के निर्माण में लेतलतीफी को निगम कमिश्नर हरेश मंडावी ने बेहद गंभीरता से लिया है। कमिश्नर ने इसके लिए पीडब्ल्यूडी के ईई को पत्र लिखा है और बारिश से संभावित नुकसान की आशंका जाहिर करते हुए मानसून से पहले निर्माण कार्य पूर्ण कराने कहा है। निगम कमिश्नर ने पत्र में कहा है कि समय पर निर्माण पूरा नहीं किया गया तो जन-धन व दूसरे नुकसान के लिए ईई पीडब्ल्यूडी जिम्मेदार होंगे। पत्र में उन्होंने लिखा है कि बार-बार कहें जाने के बाद भी निर्माण की प्रगति पर गंभीरता नहीं बरती जा रही है। निगम कमिश्नर ने पत्र में बताया है कि शंकर नाला का समय पर निर्माण नहीं हुआ तो भिलाई की ओर से आने वाले पानी से मालवीय नगर, संतराबाड़ी, सिंधी कालोनी, शंकर नगर, गिरधारी नगर क्षेत्र में पानी भर जाने का खतरा है। इसके अलावा बंधान के कारण बीआईटी परिसर, पांच बिल्डिंग क्षेत्र, सिविल लाइन, वन विभाग कार्यालय व राजेन्द्र पार्क का हिस्सा भी जलमग्न होने की संभावना है। उन्होंने चेतावनी दी है कि बारिश के दौरान शंकर नाला के कारण से होने वाले जन-धन की हानि या किसी भी प्रकार क्षति की पूर्णत: जवाबदारी पीडब्ल्यूडी की होगी। तत्समय में निगम द्वारा पानी निकासी के लिए किसी भी प्रकार के कदम से आपके विभाग के कार्य की क्षति होने पर निगम जवाबदार नहीं होगा।