रिसाली (छत्तीसगढ़)। कोरोना के हलात को देख रूह कांप जाती है। परिस्थिति ऐसी है कि अपना सगा भी साथ छोड़ देता है। यही कारण है कि कई तो सदमें में अपनी जान गवा रहे। वहीं कुछ लोग ऐसे है जो जमा पूंजी को मानवता के नाम पर खर्च करने में संकोच नहीं कर रहे है। इनमें रिसाली नगर पालिक निगम के नोडल अधिकारी रमाकांत साहू भी शामिल है। उन्होंने अपने ड्रायवर (सारथी) की जान बचाने विषम परिस्थिति के लिए सहेज कर रखे एक लाख रूपए सहायतार्थ दे दिए।
कोरोना के बढ़ते हलात ने लोगों की मनोदशा बिगाड़ दी है। कई धनाड्य कोरोना संक्रमितों को आक्सीजन युक्त बेड नहीं मिल रहे है। वहीं भाग्यवश जिन्हे प्राइवेट अस्पताल में बेड मिल भी रहा तो ईलाज में पूंजी खिसक जा रही है। ऐसी ही परिस्थिति से रिसाली निगम के प्लेसमेंट कर्मचारी (ड्रायवर) टुमन साहू को जूझते देख नोडल अधिकारी ने बिना संकोच किए एक लाख की मदद की। नेक दिल वाले अधिकारी का कहना है कि ऐसे विपत्ति समय में मानवता से बड़ा कुछ नहीं। उन्होंने कोई हटकर काम नहीं किया है। बस थोड़ी सी मदद की जिससे उनके सारथी की जान बच गई। वर्तमान में टुमन (ड्रायवर) पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुका है। वह काम पर लौटना चाह रहा है, लेकिन नोडल अधिकारी बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए आराम करने की सलाह दे रहे है।
सांसे उखड़ने लगी तब पहुंचाया अस्पताल
नोडल अधिकारी ने बताया कि अप्रैल प्रथम सप्ताह में टुमन कोरोना संक्रमित हुआ। जांच रिपोर्ट आने पर उसे घर पर रहने और उपचार कराने की सलाह दी दवाईयां भी उपलब्ध कराई। इस दौरान अधिकारी रोज अपने सारथी की पूछ परख करते। अचानक बात नहीं कर पाने पर तत्काल उसे चंदूलाल मेडिकल काॅलेज में भर्ती कराया। स्थिति और ज्यादा बिगड़ने पर नोडल अधिकारी उसे एस आर हाॅस्पीटल चिखली के गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती कराया।
ऐसे की मदद
नोडल अधिकारी ने बताया कि शुरूआत में वह 20 हजार जमा कर एसआर अस्पताल में ईलाज शुरू कराया था। पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद बिल को देख परिवार वालों को लगा कि पैर तले से जमी खिसक चुकी है। महज दस हजार महिना कमाने वाले टुमन का परिवार अस्पताल का भारी भरकम बिल जमा करने असमर्थ थे। तब नोडल अधिकारी ने परिवार वालों को साहस दिलाया और परिजन बनकर एक लाख रूपए की सहायता की।