दुर्ग (छत्तीसगढ़)। परिचित किशोरी के साथ बहलाफुसला कर शारीरिक संबंध बनाकर और उसे बिन ब्याही मां बनाने के आरोपी के खिलाफ अदालत द्वारा फैसला सुनाया गया है। अदालत ने आरोपी को आजीवन (पूरे प्राकृत जीवनकाल) के लिए कारावास की सजा से दंडि़त किए जाने का निर्णय दिया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी की अदालत में आज बुधवार को सुनवाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक कमल किशोर वर्मा ने पैरवी की थी।
मामला दुर्ग कोतवाली क्षेत्र का है। अंबेडकर नगर उरला निवासी शरूक उर्फ स्वरुप खान (24 वर्ष) का पीडि़त किशोरी (16 वर्ष) के घर आना जाना था। जिससे दोनों परिचित थे। मार्च 2017 में शारूक ने किशोरी के साथ बहलाफुसला कर शारीरिक संबंध बनाने लगा था। कुछ माह बाद किशोरी की तबीयत बिगडऩे पर परिजनों द्वारा जांच किए जाने पर किशोरी के गर्भतती होने की जानकारी सामने आई। जिसके बाद दुर्ग कोतवाली में 17 नवंबर 2017 को शिकायत दर्ज कराई गई। कशोरी की स्वेच्छा से कराए गए सोनोग्राफी टेस्ट में उसके 27 माह के गर्भ से होने की पुष्टि हुई। कोतवाली पुलिस ने आरोपी के खिलाफ दफा 376 (2)(एन) 506 बी तथा पोक्सो एक्ट की धारा 5(जे)(2) के तह अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विवेचना पश्चात विचारण के लिए न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।
नहीं कराया डीएनए, अदालत ने लिया गंभीरता से
इस प्रकरण की पीडि़ता ने एक शिशु को भी जन्म दिया था, लेकिन इस जन्में शिशु का डीएनए टेस्ट पुलिस द्वारा नहीं कराया। अदालत ने इसे गंभीर त्रुटि माना। अदालत ने इस फैसले की प्रति पुलिस एसपी को प्रेषित किए जाने का निर्देश दिया है। ताकि विवेचना के दौरान हुई इस त्रुटि के संबंध में आवश्यक निदान की कार्रवाई की जा सकें।
सुनाई उम्रकैद की सजा
प्रकरण पर विचारण फास्ट टे्रक कोर्ट में किया गया। विशेष विशेष न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी ने आरोपी शारूक खान को अवयस्क युवती के साथ लगातार शारीरिक संबंध बनाकर गर्भवती बनाने का दोषी पाया। अभियुक्त को दफा 376(2)(एन) के तहत आजीवन (पूरे प्राकृत जीवन तक) कारावास की सजा से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा 25 हजार रु. के अर्थदंड से भी दंडि़त किया गया है।