दुर्ग (छत्तीसगढ़)। 19 दिनों से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों संगठनों के राष्ट्रीय आंदोलन के आह्वान पर छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के नेतृत्व में दुर्ग जिला के किसानों ने प्रदर्शन किया। किसानों ने इंदिरा मार्केट में प्रदर्शन के दौरान मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नाारेबाजी भी की। संगठन केंद्र के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर पिछले 7 माह से संघर्ष कर रहे हैं।
किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार के कृषि कानून से किसानों का भला नही होने वाला। कृषि उत्पादन और व्यापार का निजीकरण करने के इरादे से कानून बनाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा ठीक है तो कानून में एक लाईन न्यूनतम गारंटी मूल्य का क्यों नही जोड़ देती। उन्होंने कहा कि किसान अस्तित्व रक्षा करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं जबकि मोदी सरकार के नुमाइंदे अर्नगल प्रलाप कर किसानों के जले पर नमक छिड़क रही है।
प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए संगठन के राजकुमार गुप्त, आई के वर्मा, झबेंद्र भूषण वैष्णव, कल्याण सिंह ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार की नियत और कानून दोनों ही काला है, मोदी सरकार कार्पोरेट की दलाली कर रही है, खेती किसानी का काम किसानों से छीनकर कार्पोरेट के हवाले करने के इरादे से कानून बनाया है देश के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने के बाद मोदी सरकार कृषि और कृषि उपज के वाणिज्य और व्यापार का निजीकरण करना चाहती है, आवश्यक वस्तु अधिनियम से अनाज और आलू प्याज आदि से बाहर करके और इनके असीम भंडारण की छूट देकर जमाखोरी और मुनाफाखोरी को कानूनी मान्यता प्रदान कर दिया है जिसका खामियाजा किसानों और उपभोक्ताओं को मंहगाई के रूप में भुगतना होगा।
वक्ताओं ने आरोप लगाया है कि किसानों के आंदोलन को लगातार मिल रहे जन समर्थन से बौखलाकर भाजपा और मोदी सरकार द्वारा आंदोलन को बदनाम करने के लिये किसानों पर देशद्रोही होने सहित निराधार और अनर्गल आरोप लगा रही है, किसानों की मांगों को मानने के बजाय मोदी सरकार और भाजपा टकराव की स्थिति पैदा करना और हिंसा को उकसाना चाहती है,ताकि इसके आड़ में किसानों के आंदोलन का दमन कर सके।
वक्ताओं ने कहा कि किसान अपने और कृषि के अस्तित्व को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं जबकि भाजपा और मोदी सरकार कार्पोरेट के नमक का फर्ज अदा कर रही है, वक्ताओं ने किसानों को आगाह किया है कि सरकार का इरादा समस्या को सुलझाने का नहीं है बल्कि किसान आंदोलन से टकराने का है इसलिये किसानों को मोदी सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई के लिये तैयार रहना चाहिये।
किसानों के प्रदर्शन में पुरषोत्तम बाघेला, उत्तम चंद्राकर, परमानंद यादव, बाबूलाल साहू, प्रमोद पवांर, प्रेम दिल्लीवार, मेघराज मढ़रिया, बलकरण वर्मा, सुमीत, संतु पटेल, शंकर राव, कृष्णा साहू, सहित अनेक किसान शामिल थे ।